पशुपालन विभाग में लाखों के घोटाले का मामला : 3 बड़े अधिकारियों पर गिरी निलंबन की गाज

Edited By Vijay, Updated: 08 Jun, 2018 08:16 PM

scam case in animal husbandry department 3 senior officers suspended

रदेश सरकार ने उपनिदेशक पशुपालन विभाग सोलन कार्यालय में हुए करीब 68 लाख रुपए के घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए विभाग के 3 बड़े अधिकारियों को निलंबित कर चार्जशीट कर दिया है।

सोलन: प्रदेश सरकार ने उपनिदेशक पशुपालन विभाग सोलन कार्यालय में हुए करीब 68 लाख रुपए के घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए विभाग के 3 बड़े अधिकारियों को निलंबित कर चार्जशीट कर दिया है। इनके अलावा एक सेवानिवृत्त अधिकारी को भी चार्जशीट किया गया है। ये सभी अधिकारी उस समय (घोटाले के वक्त) सोलन में उपनिदेशक व सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत थे। पशुपालन विभाग के प्रधान सचिव संजय गुप्ता ने बताया कि संयुक्त निदेशक डा. रजत पुरी, उपनिदेशक डा. परमजीत नेगी तथा सहायक निदेशक संजय ठाकुर को निलंबित कर चार्जशीट कर दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। इनके अलावा इस मामले में रिटायर्ड संयुक्त निदेशक को भी चार्जशीट किया गया है जो उस समय निदेशक के पद पर कार्यरत थे। इस मामले में तत्कालीन कैशियर पहले ही निलंबित किया चुका है।


पंजाब केसरी ने किया था मामले का खुलासा
पंजाब केसरी ने 25 मई को इस मामले का खुलासा किया था। इसके बाद सरकार भी हरकत में आ गई। सहायक वित्त नियंत्रक की अगुवाई में जांच कमेटी का गठन किया गया। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि वर्ष 2016 से जनवरी, 2018 के बीच सोलन कार्यालय में करीब 68 लाख रुपए की वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं। जिस समय का यह घोटाला बताया जा रहा है, उस समय उपनिदेशक के पद पर डा. रजत पुरी व रिटायर्ड संयुक्त उपनिदेशक तैनात थे तथा डा. परमजीत नेगी व डा. संजय ठाकुर सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत थे। इनमें से टीम अधिकारियों की पदोन्नति भी हो गई थी। कार्यालय में इतना बड़ा घोटाला हो गया और उक्त अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। सरकार ने इन अधिकारियों को निलंबित कर मामले की जांच शुरू कर दी है। निलंबित किए गए अधिकारियों का हैडक्वार्टर भी फिक्स कर दिया है। डा. रजत पुरी का हैडक्वार्टर पालमपुर और उपनिदेशक परमजीत नेगी व संजय ठाकुर का हैडक्वार्टर किन्नौर फिक्स किया गया है ताकि जांच प्रभावित न हो।


मामला उजागर होने के बाद 57.92 लाख रुपए हुए जमा
घोटाले का मामला उजागर होने के बाद करीब 57.92 लाख रुपए की राशि जमा भी करवा दी गई है। इससे स्पष्ट है कि मामले में कुछ गड़बड़ जरूर हुई थी। विभाग ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट प्रदेश सरकार को भेज दी थी, जिसके बाद यह कार्रवाई हुई। विभाग ने मामले का खुलासा होते ही इसकी जांच के लिए सहायक वित्त नियंत्रक की अगुवाई में एक जांच कमेटी भी बनाई थी, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर फिलहाल तत्कालीन कैशियर (जिसके समय में यह अनियमितता हुई) को निलंबित किया था और अब 4 अधिकारियों के ऊपर कार्रवाई हुई।


इस तरह हुआ था घोटाला
सूत्रों का कहना है कि सरकार की विभिन्न योजनाओं में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं। एक योजना का पैसा दूसरी तथा दूसरी का तीसरी में खर्च वित्तीय गड़बड़ी को अंजाम दिया गया है और सरकारी खजाने में करीब 69 लाख रुपए की चपत लग गई। कई योजनाओं में किसानों का शेयर भी विभाग के खाते में जमा नहीं हुआ है। मामले का खुलासा तब हुआ जब सोलन कार्यालय द्वारा पशु चिकित्सा उपकरणों की करीब 35 लाख रुपए की पेमैंट के लिए बैंक खातों की जांच की। बैंक में विभाग का उतना पैसा जमा नहीं था जितना ऑफिस के रिकार्ड के मुताबिक होना चाहिए था। उपनिदेशक  कार्यालय ने इसकी सूचना निदेशक को दी और उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए सहायक वित्त नियंत्रक की अगुवाई में एक टीम जांच के लिए सोलन भेज दी थी। जांच टीम ने प्रारम्भिक जांच में पाया है कि कार्यालय में वर्ष 2016 से यह वित्त घोटाला चला हुआ है और अधिकारियों को इस मामले की भनक तक नहीं लगी। इसको लेकर कई सवाल खड़े हो गए थे।


इन योजनाओं में हुईं वित्तीय अनियमितताएं
1. गर्भित पशु आहार योजना।
2. बैकयार्ड पोल्ट्री योजना।
3. राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत 40 वितरण योजना।
4. 5000 ब्रायलर चूजा योजना (60:40)।
5. बी.पी.एल. बकरी पालन योजना (60:40)।
6. 60 प्रतिशत अनुदान पर मेंढ़ा वितरण योजना।
7. उत्तम पशु पुरस्कार योजना।


क्या कहते हैं विभाग के प्रधान सचिव
पशुपालन विभाग के प्रधान सचिव संजय गुप्ता ने कहा कि सोलन कार्यालय में हुए 68 लाख रुपए के घोटाले के मामले में संयुक्त निदेशक डा. रजत पुरी, उपनिदेशक डा. परमजीत नेगी तथा सहायक निदेशक संजय ठाकुर को निलंबित कर चार्जशीट कर दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। इनके अलावा इस मामले में रिटायर्ड संयुक्त निदेशक को भी चार्जशीट किया गया है, जो उस समय निदेशक के पद पर कार्यरत थे। इस मामले में तत्कालीन कैशियर पहले ही निलंबित किया चुका है।

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