स्टाफ नर्सों के जज्बे को सलाम, बिना गायनी विशेषज्ञ 10 दिन में चम्बा में करवाए 39 प्रसव

Edited By Vijay, Updated: 14 Jun, 2022 11:07 PM

salute to the spirit of staff nurses

अस्पताल और मरीजों का नाम आते ही सबसे पहले तस्वीर डाॅक्टर और नर्स की सामने आती है। माना जाता है कि जिस अस्पताल की नर्सों में सेवा का भाव होता है, वहां मरीजों की रिकवरी जल्दी होती है। कोरोना काल में तो नर्सों की भूमिका महत्वपूर्ण रही, जिन्होंने परिवार...

चम्बा (काकू चौहान): अस्पताल और मरीजों का नाम आते ही सबसे पहले तस्वीर डाॅक्टर और नर्स की सामने आती है। माना जाता है कि जिस अस्पताल की नर्सों में सेवा का भाव होता है, वहां मरीजों की रिकवरी जल्दी होती है। कोरोना काल में तो नर्सों की भूमिका महत्वपूर्ण रही, जिन्होंने परिवार और अपनी जान की परवाह न करते हुए लगातार अपनी ड्यूटी की और कई लोगों की जान बचाई लेकिन पंडित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल चम्बा में कोरोना काल के बाद भी स्टाफ नर्सें अपना फर्ज बखूबी निभा रही हैं। 

प्रसव में जोखिम के चलते 5 गर्भवती महिलाएं की टांडा रैफर
कोरोना महामारी से लड़ने के बाद अब नर्सें यहां के सिस्टम से लड़कर मरीजों को बेहतरीन सेवाएं प्रदान कर रही हैं। विशेषकर गर्भवती महिलाओं के दर्द को अपना दर्द समझकर उन्हें राहत पहुंचा रही हैं। यही कारण है कि मात्र 10 दिनों में मेडिकल काॅलेज में स्टाफ नर्सों ने ही 39 सफल प्रसव करवा दिए। हालांकि इसमें एमबीबीएस के योगदान को भी नकारा नहीं जा सकता है लेकिन बिना विशेषज्ञ चिकित्सकों के स्टाफ नर्सों ने 1 से लेकर 10 जून तक यह 39 नॉर्मल डिलीवरी करवाईं। इस अवधि में सिर्फ 5 गर्भवती महिलाओं को ही डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा रैफर किया गया। प्रसव में जोखिम के चलते उन्हें टांडा रैफर करना पड़ा। 

ये नर्सें निभा रहीं फर्ज
अस्पताल में तैनात वार्ड सिस्टर ललित, स्टाफ नर्स रजनी, अर्चना, पूनम व काजल गर्भवती महिलाओं की देखरेख कर रही हैं और प्रसव में अपनी  भूमिका निभा रही हैं।  वैसे तो हर अस्पताल में नर्सें चिकित्सक के साथ मिलकर प्रसव करवाती हैं, लेकिन चम्बा में बिना चिकित्सक के भी ये नर्सें प्रसव करवा रही हैं।  

क्या बोले मेडिकल काॅलेज के एमएस
मेडिकल काॅलेज के एमएस डाॅ. देवेंद्र कुमार ने बताया कि मेडिकल काॅलेज में नार्मल डिलीवरी लगातार हो रही है। सिर्फ जोखिमपूर्ण स्थिति में ही मरीजों को टांडा रैफर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 1 से 10 जून तक अस्पताल के 39 नॉर्मल डिलीवरी हुईं और 5 महिलाओं को ही कांगड़ा स्थित टांडा अस्पताल रैफर किया गया। उन्होंने कहा कि अस्पताल में चिकित्सकों की कमी के बावजूद हर संभव बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं। 

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