कलोल में PWD का बड़ा गड़बड़झाला, गलत स्थान पर लगा दिया PM ग्राम सड़क योजना का पैसा

Edited By Prashar, Updated: 21 Jul, 2019 07:31 PM

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जिला बिलासपुर के उपमंडल कलोल में लोक निर्माण विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जिसकी वजह से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी बकैण सड़क एक बार फिर विवादों में आ गई है। दरअसल यहां स्कीम के तहत लग से बकैण गांव की सड़क के लिए स्वीकृत बजट विभाग...

कलोल: जिला बिलासपुर के उपमंडल कलोल में लोक निर्माण विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जिसकी वजह से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी बकैण सड़क एक बार फिर विवादों में आ गई है। दरअसल यहां स्कीम के तहत लग से बकैण गांव की सड़क के लिए स्वीकृत बजट विभाग ने किसी और ही सड़क में लगा दिया। विभाग की लापरवाही के कारण लग के ग्रामीण सरकार से हक पाकर भी अपने हक से महरूम हैं और बारिश के दिनों में कई दशक पिछड़ी जिंदगी जीने को मजबूर हैं।

मंजूर कोई और सड़क हुई और पैसा कहीं और लगा दिया
मामला पिछड़ा क्षेत्र कोटघार की पंचायत कलोल का है। दरअसल प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लग से बकैण गांव की सड़क के लिए बजट मंजूर हुआ था, लेकिन विभाग ने बिना किसी की सुने इस बजट को बकैण गांव की सड़क के निर्माण में लगा दिया। स्थानीय निवासियों ने सड़क के निर्माण के दौरान इसकी जानकारी कई बार विभाग को दी, लेकिन अधिकारियों ने किसी की नहीं सुनी। काम लगातार जारी रखा। जिसके चलते अब विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठ रहे हैं।

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एक किलोमीटर की जगह विभाग ने बनाई 560 मीटर सड़क
लग गांव के निवासियों बलदेव, हरनाम, सुमन, राम कृष्ण, लेख राम धीमान, ज्ञान चंद, जगत पाल, मीना कुमारी समेत दर्जनों ग्रामीणों का कहना है कि लग से बकैण के लिए 1986 में कच्ची सड़क बनी थी। जिसे पक्का करने की मांग लगातार की जा रही थी। लिहाजा 2007 में तत्कालीन सरकार ने लोगों की मांग को ध्यान में रखते हुए इस एक किलोमीटर सड़क को पक्का करने की स्वीकृति देते हुए 26 लाख 90 हजार का बजट पास कर दिया। बकौल ग्रामीण लोक निर्माण विभाग ने गांव लग से बकैण के लिए स्वीकृत की गई राशि को उक्त सड़क पर खर्च न करके अक्टूबर 2012 में बकैण के कैंची मोड़ से बकैण सड़क को पक्का कर दिया जिसकी लंबाई करीब 560 मीटर हैं। यानी स्वीकृत सड़क की लंबाई से 440 मीटर कम।

हक पाकर भी पिछड़ी जिंदगी जीने को मजबूर लोग
ग्रामीणों का कहना है कि विभाग की इस कार्यप्रणाली से घोटाले की बू आ रही है। जिसकी वजह से चाह कर भी उन्हें उनका हक नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में आज भी अगर कोई व्यक्ति बीमार हो जाए वो उसे सड़क तक लाने के लिए पालकी का सहारा लिया जाता और बारिश के दिनों में तो इस सड़क की हालात बेहद खस्ता हो जाती है। लोगों का कहना है कि उन्हें इस सड़क पर आज भी जान हथेली पर लेकर चलना पड़ता है।

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क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी ?
वहीं इस मामले के बारे में जब विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर घुमारवीं एमएल शर्मा से बात की गई तो उन्होंने हर बार की तरह रटा रटाया जवाब देते हुए मामले को चलता किया कि मामला बहुत पुराना है जो उनके ध्यान में नहीं है। उन्होंने कहा कि जांच कराई जाएगी और अगर ऐसा हुआ है तो लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।

आम से खास तक की जा चुकी है शिकायत
एक तरह से देखा जाए तो सरकार और विभाग के ढीले रवैये के चलते ग्रामीण अब इस सड़क की आस ही छोड़ चुके हैं। एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के जवाब पर कलोल पंचायत के प्रधान बलबीर सिंह ने कहा कि सड़क के बारे में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से भी शिकायत कर चुके हैं लेकिन हालात जस के तस हैं।

लिहाजा सवाल ये उठता है कि अगर बजट दूसरी सड़क के लिए पास हुआ था तो किसी अन्य सड़क पर क्यों खर्च किया गया। क्या विभाग के पीछे कोई राजनीतिक हाथ है या फिर बकैण गांव से खास लगाव। जो भी हो लेकिन अब देखना ये होगा कि पीडब्ल्यूडी का कारनामा उजागर होने के बाद सरकार हरकत में आती है या नहीं?
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