जान का जोखिम साबित होने लगी हैं प्रदेश की बदहाल सड़कें : राणा

Edited By prashant sharma, Updated: 29 Aug, 2020 03:49 PM

risks of the state are starting to prove the risk of life rana

भ्रष्टाचार के बोलबाले के बीच प्रदेश का रुका विकास अब आम आदमी को सताने का सबब बनने लगा है। प्रदेश की सड़कों पर सफर करना नागरिकों के लिए जोखिम भरा साबित होता जा रहा है।

हमीरपुर : भ्रष्टाचार के बोलबाले के बीच प्रदेश का रुका विकास अब आम आदमी को सताने का सबब बनने लगा है। प्रदेश की सड़कों पर सफर करना नागरिकों के लिए जोखिम भरा साबित होता जा रहा है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि बेशक मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कागजी तौर पर यह दावे कर रहे हैं कि विकास का पहिया रुकने नहीं दिया जाएगा लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि बदहाल सड़कों पर अब मोटर, गाड़ियों के पहिए थमने लगे हैं। प्रदेश में नेशनल हाई-वे सड़कों की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि उन्हें किसी भी सूरत में नेशनल हाई-वे नहीं कहा जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें तो अब खड्डों-नालों का रूप ले चुकी हैं। बहुत से क्षेत्रों की सड़कों पर सफर करना अब जान का खतरा उठाने जैसा है। क्योंकि बदहाल सड़कें अब दुर्घटनाओं को न्यौता देने लगी हैं व सड़कों पर सफर से डराने लगी हैं। 

उन्होंने कहा कि देश और दुनिया जहां सड़कों पर बढ़ी वाहनों की भीड़ के कारण अर्बन ट्रांसपोर्ट की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है, वहीं हिमाचल में खस्ताहाल हो चुकी सड़कें वाहनों को चलाने के काबिल भी नहीं रही हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जब वाहनों का पहिया ही सड़क पर ठीक से नहीं चल रहा है तो विकास का पहिया नहीं रुकने का दावा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कैसे कर रहे हैं। वैसे भी झूठ बोलकर सत्ता व राजनीति में बने रहने की आदी बीजेपी की बातों और वायदों पर जनता भरोसा नहीं करती है। क्योंकि 21वीं सदी के आरंभ में बीजेपी ने भारत में झूठ की राजनीति की एक नई शुरुआत की है। जिस राजनीति का सारा दारोमदार सिर्फ और सिर्फ झूठ पर टिका होता है। चुनाव आया तो डबल इंजन का वायदा करके सत्ता हासिल कर लो और चुनाव बीता तो डबल क्या, सिंगल इंजन भी नहीं चल रहा है। 

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य यह है कि जब सरकार की बात का ही कोई मोल न हो तो फिर उसके वायदे की क्या बिसात? यही अब प्रदेश में चल रहा है। किसी बात पर सवाल पर खड़ा करो तो सरकार का गुस्सा आसमान पर पहुंच जाता है और सवाल खड़ा न करें तो बदहाल हो चुकी सड़कों पर जान जोखिम में डालकर सफर करें। उन्होंने कहा कि सरकार की सड़कों के प्रति घोर लापरवाही के चलते आम नागरिकों का समय व धन लगातार नष्ट हो रहा है। जो गाड़ी पांच साल चलनी होती है वह गाड़ी दो साल में कंडम हो रही है और जो सफर एक घंटे में होना होता है, उसके लिए तीन-तीन घंटे लग रहे हैं। और जिस सफर के लिए एक लीटर इंधन फूंका जाना है, उस सफर के लिए तीन-तीन लीटर इंधन मजबूरी में फूंका जा रहा है। जनता की इस हानि की जिम्मेदारी सरकार पर है। जिसकी जवाबदेही सरकार को देनी ही होगी। क्योंकि अब जनता सरकार की झूठ की राजनीति में नहीं आने वाली है। उन्होंने कहा कि सड़कों के लिए भूमि का अधिग्रहण सरकार ने पहले ही बंद कर रखा है। ऐसे में सड़कों के विकास की बात सरकार किस मुंह से कर रही है। क्योंकि जब जमीनी स्तर पर भूमि का अधिग्रहण ही नहीं होगा तो सड़कों का मूलभूत ढांचा कैसे विकसित होगा। यह सरकार जनता को बताए।
 

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