50 हजार करोड़ के कर्जदार हिमाचल में अमीर लोग, जानिए वजह

Edited By Ekta, Updated: 09 Jan, 2019 11:45 AM

rich people in himachal who owe rs 50 thousand crore

50,000 करोड़ रुपए से अधिक कर्जदार हिमाचल प्रदेश में अमीर लोगों का बसेरा है। इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के लोगों की सरकारी क्षेत्र के बैंकों में करीब 78,000 करोड़ रुपए की पूंजी जमा है। इतना ही नहीं, लोगों ने निजी क्षेत्र के...

शिमला (कुलदीप शर्मा): 50,000 करोड़ रुपए से अधिक कर्जदार हिमाचल प्रदेश में अमीर लोगों का बसेरा है। इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के लोगों की सरकारी क्षेत्र के बैंकों में करीब 78,000 करोड़ रुपए की पूंजी जमा है। इतना ही नहीं, लोगों ने निजी क्षेत्र के बैंकों में भी करीब 5,000 करोड़ रुपए जमा करवाए हैं। प्रदेश की अर्थव्यवस्था में भी 6.3 फीसदी की विकास दर का अनुमान है तथा प्रति व्यक्ति आय 1,58,462 रुपए आंकी गई है। राज्य में 152 गैस कंपनियां, 386 पैट्रोल पंप और 25 थोक मिट्टी तेल के विक्रेता कार्य कर रहे हैं। इतना ही नहीं, लोगों ने शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्तियों को अलग से अर्जित किया है। इसके अलावा राज्य के बाहर भी लोगों ने अपनी संपत्तियां अर्जित की हैं। प्रदेश में कुल 14,62,080 गाडिय़ां पंजीकृत हैं, जिनमें से 2,78,980 वाणिज्यिक वाहन हैं और 11,83,100 निजी वाहन हैं। धनी लोग वाहनों पर मोटी रकम का निवेश कर रहे हैं, जिसमें ऑडी, मर्सिडीज, बी.एम.डब्ल्यू., कैमरी, फॉच्र्यूनर, लैंड रोवर, सकौडा, सफारी, पजैरो और एस.यू.बी. जैसी गाडिय़ां हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा वाहन कांगड़ा जिला में 3,52,817 तथा सबसे कम जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति में 5,698 वाहन पंजीकृत हैं।

3,500 करोड़ की सेब बागवानी

राज्य की आर्थिकी का मुख्य आधार 3,500 करोड़ रुपए की सेब बागवानी भी है, जिससे करीब 1.60 लाख परिवार जुड़े हैं। सेब राज्य की जी.डी.पी. को करीब 12 फीसदी योगदान देता है। इसका उत्पादन मुख्य रूप से शिमला, किन्नौर, लाहौल-स्पीति, कुल्लू, मंडी और चम्बा जिला में होता है। राज्य में करीब 5 लाख मीट्रिक टन से अधिक सेब का उत्पादन होता है। यानी प्रदेश में कुल फल उत्पादन का करीब 85 फीसदी सेब से आता है।

पर्यटन भी आर्थिकी का मुख्य आधार

प्रदेश में पर्यटन भी आर्थिकी का मुख्य आधार है। राज्य में सालाना करीब 196 लाख से अधिक पर्यटक प्रदेश का भ्रमण करते हैं, जो प्रदेश की जनसंख्या से 2.9 गुणा अधिक है। प्रसिद्ध पर्यटन स्थानों के अलावा लोग धार्मिक और ऐतिहासिक स्थानों की तरफ भी रुख कर रहे हैं। होम स्टे योजना से पर्यटक गांव की तरफ आने शुरू हो गए हैं। पर्यटन का राज्य की जी.डी.पी. में 6.6 फीसदी योगदान है।

जी.पी.एफ. के 600 करोड़ जमा

जानकारी के अनुसार सरकार के पास इस समय कर्मचारियों के जी.पी.एफ. की राशि के रूप में करीब 600 करोड़ रुपए जमा हैं। इसमें से कुछ राशि को कर्मचारी सेवानिवृत्ति से पहले भी निर्धारित प्रपत्र पर निकालने के लिए आवेदन कर सकते हैं। सेवानिवृत्ति के बाद इसे ब्याज सहित कर्मचारियों को अदा किया जाता है।

बिजली बेचने से 1,500 करोड़ की आमदनी

राज्य को सालाना बिजली बेचने से सरकार को करीब 1,500 करोड़ रुपए की आमदनी होती है। इस समय राज्य में करीब 10,519.17 मैगावाट बिजली का दोहन हो चुका है। बिजली के अलावा प्रदेश की आर्थिकी का मुख्य आधार पर्यटन है, जिससे हजारों करोड़ रुपए की सालाना आमदनी होती है। प्रदेश की होटल इंडस्ट्री और काम करने वाला छोटा तबका इस पर काफी हद तक निर्भर करता है।

अमीरी के बावजूद राज्य की खराब वित्तीय हालत

प्रति व्यक्ति आय 1,58,462 रुपए वाले प्रदेश पर इस समय 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज चढ़ चुका है। सरकार की तरफ से लगातार कर्ज लेने से प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी खराब हो रही है, जिससे आगामी एक दशक के दौरान 55 फीसदी से अधिक कर्जों का भुगतान करने की नौबत आ गई है। इस स्थिति में सरकार को कर्ज लौटाने के लिए भी कर्ज उठाने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। राज्य में बीते 5 साल की अवधि के दौरान प्रदेश में प्रति व्यक्ति कर्ज का बोझ भी 50 फीसदी बढ़ा है। इससे प्रति व्यक्ति कर्ज का बोझ 65,444 रुपए से अधिक पहुंच गया है। इस तरह राज्य सरकार को 3,096 करोड़ रुपए कर्ज का भुगतान आगामी वित्त वर्ष में करना है।

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