कोरोना महामारी से पीड़ित व प्रभावितों के लिए स्थापित हो राहत कोष: राणा

Edited By kirti, Updated: 24 Mar, 2020 04:31 PM

relief fund to be set up for victims and victims of corona epidemic rana

कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक राजेंद्र राणा ने सरकार व जनता से अपील की है कि जानलेवा कोरोना महामारी से प्रभावित समाज की सहायता के लिए सरकार तुरंत प्रभाव से प्रदेश में एक राहत कोष स्थापित करे, जिससे लॉक डाउन हुए हिमाचल में जरुरतमंदों की सहायता हो सके।

हमीरपुर: कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक राजेंद्र राणा ने सरकार व जनता से अपील की है कि जानलेवा कोरोना महामारी से प्रभावित समाज की सहायता के लिए सरकार तुरंत प्रभाव से प्रदेश में एक राहत कोष स्थापित करे, जिससे लॉक डाउन हुए हिमाचल में जरुरतमंदों की सहायता हो सके। उन्होंनेे कहा कि इस मामले में पहल करते हुए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राजनेताओं व अफसरशाही को आगे आना होगा। उन्होंने अपील की है कि प्रदेश के राजनेता, विधायक, मंत्री, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद, राज्यसभा सांसद, पूर्व सांसद, बोर्डों, निगमों के चेयरमैन व क्लास वन ऑफिसर तथा समाज के साधन संपन्न नागरिक, उद्योगपति इस राहत कोष को स्थापित करने के लिए आगे आएं। 

उन्होंने कहा कि अगर सरकार महामारी से पीड़ित व प्रभावित लोगों के लिए ऐसा कोई कोष स्थापित करती है तो वह अपनी एक महीने की पगार स्वेच्छा से देने की पेशकश करते हैं। राणा ने कहा कि देश का धन आपदा की घड़ी में देश के काम आए तो इससे बढ़कर कोई पुण्य नहीं है। उन्होंने कहा कि सक्षम नागरिक जब देश की आपदा की घड़ी में एकजुट होते हैं तो बड़े से बड़े जख्मों पर भी राहत का मरहम लगाना आसान हो जाता है। राणा ने कहा कि लॉक डाउन की स्थिति में सामाजिक सहयोग करते हुए समूचा प्रदेश घरों में कैद है। अधिकांश लोग जो रोज कमाते हैं, रोज खाते हैं उनकी दिनचर्या इस महामारी के कारण अस्त-व्यस्त हो गई है। इसलिए जिन कामगारों के दम पर देश और प्रदेश के विकास की धुरी केन्द्रित है उनकी सहायता के लिए आपदा की घड़ी में अगर सक्षम नागरिक आगे आकर राहत का प्रयास करते हैं तो समाज में समकक्षता, समानता का भाव और विचार बनता है।

एक दूसरे के बिना विकसित समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ऐसे में समाज हित के लिए सबको साथ आना होगा ताकि आपदा के कारण प्रभावित व पिछड़े समाज को मुख्यधारा में रखा जा सके। इस संकटकाल में लोगों को मूलभूत चीजों व जरुरतों का टोटा होने लगा है। सरकार को चाहिए कि ऐसे वक्त में लोगों की जरुरत की चीजें व खाने-पीने का सामान मुफ्त में मुहैया करवाया जाए ताकि बीमारी से पीड़ित व प्रभावित नागरिकों को यह एहसास रहे कि आपदा की घड़ी में प्रदेश की राजनीति दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रभावित वर्ग के साथ खड़ी है। राणा ने साधन संपन्न वर्ग से भी जोरदार अपील की है कि अगर आपदा की इस घड़ी में महामारी से पीड़ित व प्रभावित लोगों की राहत के लिए वो आगे आते हैं तो इससे बड़ी गौरव की कोई दूसरी बात नहीं होगी। 

कोरोना पर केंद्र सरकार फेल 

राणा ने कहा कि आपदा की इस घड़ी में वह कोई राजनीतिक बयान नहीं देना चाहते हैं लेकिन कोरोना के कहर ने यह साबित कर दिया है कि इस मामले में केन्द्र सरकार का बहुत बड़ा फेलियर रहा है। अगर समय रहते हुए एहतियात बरती गई होती तो देश के हालात आज इतने भयावह नहीं होते। राणा ने कहा कि जब इंटरनेशनल मीडिया कोरोना की गंभीरता के मामले को उठा रहा था तब अगर केन्द्र सरकार ने ताईवान व अन्य मुल्कों की तर्ज पर देश में आने-जाने वालों पर प्रतिबंध लगाया होता है तो आज देश की हालत बद से बदत्तर नहीं होती। ताईवान जो चीन के वुहान से मात्र 130 किलोमीटर दूरी पर है, वहां और अन्य ऐसे कई मुल्कों की सरकारों ने तुरंत एहतियाती कदम उठाए और आज वह देश सुरक्षित व महफूज हैं। राणा ने कहा कि वहीं प्रदेश में लॉक डाउन होने से बेशक राज्य सरकार के तमाम कार्यालय बंद हो गए हों लेकिन केन्द्र सरकार के प्रदेश में स्थिति सभी दफ्तर रूटीन में खुले हैं। प्रदेश सरकार को चाहिए कि केन्द्र सरकार से तालमेल बैठाकर एहतियाती तौर पर इन केन्द्र सरकार के कार्यालयों को भी तत्काल बंद करवाया जाए लेकिन कफ्र्यू लगने तक केन्द्र सरकार के प्रदेश में स्थित सभी केन्द्र सरकार के दफ्तर खुले थे। बेहतर होता कि प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार से तालमेल करके कर्फ्यू से पहले ही इन केन्द्रीय कार्यालयों को भी बंद करती।
 

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