सरकार सुन लो फरियाद, सरकारी स्कूलों में भरो रैगुलर स्टाफ

Edited By Ekta, Updated: 17 Mar, 2019 10:35 AM

regular staff fill in government school

प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी इस कदर छाई हुई है कि हर कोई यही कह रहा है कि प्रदेश सरकार सुन लो फरियाद, सरकारी स्कूलों में भरो रैगुलर स्टाफ। प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी चल रही है, जिसको लेकर आए...

शिमला (अम्बादत): प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी इस कदर छाई हुई है कि हर कोई यही कह रहा है कि प्रदेश सरकार सुन लो फरियाद, सरकारी स्कूलों में भरो रैगुलर स्टाफ। प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी चल रही है, जिसको लेकर आए दिन गांव के स्कूलों से एस.एस.सी सदस्य, बच्चों के अभिभावक स्कूलों में रैगुलर स्टाफ भरने के लिए मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से मिलने सचिवालय पहुंचते हैं। सरकार स्कूलों में शिक्षकों को भरने के बजाय खाली आश्वासन देकर प्रतिनिधिमंडल को वापस भेज दिया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में चाहे प्राइमरी, मिडल, हाई स्कूल या सीनियर सैकेंडरी स्कूल हों, हर जगह शिक्षकों का टोटा चला हुआ है। प्रत्येक स्कूल में एक-दो या 4 अध्यापक बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। इनमें अधिकत स्टाफ पी.टी.ए. या एस.एम.सी. वाले शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

सरकारी स्कूलों में रैगुलर स्टाफ न होने से गांव के लोगों ने अब शहरों की ओर पलायन कर दिया है। बच्चों के भविष्य को बनाने के लिए अभिभावक को मजबूरन प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को डालना पड़ रहा है। इस कारण सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या निरंतर घटती जा रही है। सरकारी स्कूलों में बच्चों की निरंतर घटती संख्या के पीछे कहीं न कहीं प्रदेश सरकार जिम्मेदार है। प्रदेश सरकार स्कूलों में रैगुलर स्टाफ नहीं भेज रही है। पढ़े-लिखे बेरोजगार नौजवान नौकरी की तलाश में दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं, मगर प्रदेश सरकार युवाओं को नौकरी देने के बजाय झूठे आश्वासन दे रही है। चुनाव के दौरान सभी पार्टियां बेरोजगार युवाओं को नौकरी देना का लालच देती हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई भी सरकार बेरोजगारों को सरकारी नौकरी नहीं दे पाती।

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