रामस्वरूप-आश्रय को चर्चा के लिए प्रभावितों का न्योता

Edited By Ekta, Updated: 16 Apr, 2019 12:38 PM

ramswaroop aashray to discuss invited those affected

चुनावी कोलाहल में जनता के मुद्दे कहीं यूं ही न छूट जाएं, जैसा कि अक्सर होता है। इस शोर में भी जनता के मुद्दों पर राजनेताओं से चर्चा ही नहीं बल्कि जवाबतलबी भी हो, इसके लिए जनता के हकों की लड़ाई लड़ रही फोरलेन संघर्ष समिति ने तैयारियां कर ली हैं।...

कुल्लू (ब्यूरो): चुनावी कोलाहल में जनता के मुद्दे कहीं यूं ही न छूट जाएं, जैसा कि अक्सर होता है। इस शोर में भी जनता के मुद्दों पर राजनेताओं से चर्चा ही नहीं बल्कि जवाबतलबी भी हो, इसके लिए जनता के हकों की लड़ाई लड़ रही फोरलेन संघर्ष समिति ने तैयारियां कर ली हैं। सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर खुशहाल ठाकुर की अध्यक्षता में फोरलेन संघर्ष समिति 4 वर्ष से 4 गुना मुआवजा देने की आवाज मुखर करती रही है। समिति ने कई बार सरकार के सामने 4 गुना मुआवजा, पुनर्स्थापन व पुनर्वास सहित अन्य मुद्दों पर अपने पक्ष को रखा है। 2015 से चले आ रहे फोरलेन विवादों पर 4 वर्ष बीत जाने पर भी फैक्टर, पुनर्स्थापन व पुनर्वास के मुद्दे पर हिमाचल की 2 सरकारों द्वारा कोई निर्णय न लिया जाना राजनीतिक दलों की संवेदनहीनता को दर्शाता है। 

फैक्टर पर कोई निर्णय न होने से प्रदेश के हजारों प्रभावितों को आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ा है। उनकी बहुमूल्य जमीन कौड़ियों के दाम में सरकार द्वारा अधिगृहीत की गई है। पिछली कांग्रेस सरकार से प्रभावित 2015 से लगातार 4 गुना मुआवजे की मांग करते रहे, वहीं सरकार उन्हें आज-कल कर 4 गुना मुआवजा देने का आश्वासन देती रही लेकिन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 4 गुना मुआवजे की बात केवल आश्वासन तक ही सीमित रही। 2017 के चुनावों के दौरान भाजपा ने अपने विजन डॉक्यूमैंट में 4 गुना मुआवजा देने की बात कही। इस चुनाव में कांग्रेस की हार हुई, भाजपा सत्तासीन हुई। अब भाजपा को सत्तासीन हुए करीब सवा साल से अधिक समय हो गया है परंतु भू-अधिग्रहण के प्रभावितों को आज तक न तो 4 गुना मुआवजा मिला और न ही पुनर्स्थापन व पुनर्वास का कोई लाभ। यहां तक कि पुनर्स्थापन व पुनर्वास के लाभार्थी कौन हैं, चिन्हित करने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पाई है।

की है मतदान के बहिष्कार की घोषणा

जनता के मुद्दों पर सरकार व राजनीतिक दलों की उदासीनता का आलम यह है कि फोरलेन से प्रभावित दुकानदार उनकी कोई सुध न लिए जाने व उन्हें पुनर्स्थापन व पुनर्वास के कोई लाभ न दिए जाने से इतना क्षुब्ध हैं कि इस वर्ग ने लोकतंत्र के इस महापर्व के बहिष्कार की घोषणा कर डाली है। राजनीतिक दलों के इस असंवेदनशील रुख पर प्रभावित चिंतित व कर्तव्यविमूढ़ हैं। पूर्व में रही कांग्रेस सरकार के समय से चली आ रही स्थिति भाजपा शासन में भी जस की तस बनी हुई है। 

अपना स्टैंड स्पष्ट करने की मांग करेंगे

समिति के महासचिव ब्रजेश महंत ने बताया कि जनता को पिछले 4 वर्षों से आश्वासन ही मिल रहे हैं। कांग्रेस व भाजपा दोनों ही सरकारों ने उच्च स्तरीय बैठकें करवाकर अथवा कमेटियां बनाकर मुद्दों पर विचार-विमर्श तो किया परंतु दोनों ही सरकारों के प्रयासों का कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आ पाया। समिति ने 12 मार्च, 2019 की कुल्लू बैठक में प्रत्याशियों को अगली बैठक में आमंत्रित कर चर्चा करने का निर्णय लिया था। अब लोकसभा चुनाव की बेला पर हजारों प्रभावित भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों से खुलकर इन मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं जिसके लिए 21 अप्रैल को 3 बजे ढालपुर मैदान कुल्लू में होने वाली बैठक में फोरलेन से जुड़े मुद्दों पर भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों को आमंत्रित कर चर्चा की जाएगी, साथ ही दोनों ही दलों से जनता के इन ज्वलंत मुद्दों पर अपना-अपना स्टैंड स्पष्ट करने की मांग करेंगे। 






 

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