ग्रामीण विकास विभाग में एक दिन पहले विंग की स्थापना, दूसरे दिन अधिकारी की नियुक्ति पर उठे सवाल

Edited By Vijay, Updated: 19 Dec, 2019 04:18 PM

questions on appointment of officer in quality controller and monitoring wing

प्रदेश में भाजपा सरकार ने भी पूर्व कांग्रेस सरकार की तर्ज पर रिटायर्ड अधिकारियों को पुनर्नियुक्ति देनी शुरू कर दी है। सरकार ने ग्रामीण विकास विभाग में 17 दिसम्बर को राज्य स्तरीय क्वालिटी नियंत्रक व निगरानी विंग की स्थापना की और 18 दिसम्बर को राज्य...

सोलन (नरेश पाल): प्रदेश में भाजपा सरकार ने भी पूर्व कांग्रेस सरकार की तर्ज पर रिटायर्ड अधिकारियों को पुनर्नियुक्ति देनी शुरू कर दी है। सरकार ने ग्रामीण विकास विभाग में 17 दिसम्बर को राज्य स्तरीय क्वालिटी नियंत्रक व निगरानी विंग की स्थापना की और 18 दिसम्बर को राज्य स्तरीय क्वालिटी नियंत्रक की नियुक्ति भी कर दी। हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग के रिटायर्ड मुख्य अभियंता नरेश कुमार वशिष्ठ को राज्य स्तरीय क्वालिटी नियंत्रक व निगरानी विंग का हैड नियुक्त किया गया है। सरकार उन्हें 70 हजार रुपए प्रति माह पारिश्रमिक प्रदान करेगी। यह पारिश्रमिक मनरेगा के एडमिन फंड से दिया जाएगा। प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों की जांच व निगरानी करना इस विंग का काम होगा।

पद के लिए आवेदन करने का नहीं दिया मौका 

सरकार की इस नियुक्ति पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। सरकार ने 17 दिसम्बर को इस विंग के सृजन की अधिसूचना जारी की और 18 दिसम्बर को ही अधिकारी की भी नियुक्ति कर दी जबकि सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता या इससे ऊपर के अधिकारियों को इस पद के लिए आवेदन करने का मौका ही नहीं दिया गया। इस पद के लिए सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता या इससे ऊपर के अधिकारी ही आवेदन कर सकते थे लेकिन सरकार ने किसी को सोचने का भी मौका नहीं दिया और विंग की स्थापना के 24 घंटे के अंदर ही नियुक्ति भी कर दी।

तकनीकी कर्मचारी विंग 6 महीने बाद भी नहीं हुई नियुक्ति

मजेदार बात यह है कि राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग राज्य स्तरीय क्वालिटी नियंत्रक व निगरानी विंग की स्थापना के एक दिन में ही अधिकारी की नियुक्ति करने में कामयाब हो गया लेकिन तकनीकी कर्मचारी विंग की स्थापना के 6 महीने बाद भी अधिकारियों की नियुक्ति करने में विफल रहा है। तकनीकी विंग में अधिशासी अभियंता के 3 पद हैं। शिमला में इस पद पर रिटायर्ड अधीशासी अभियंता की तैनाती की हुई है जबकि मंडी व कांगड़ा में आईपीएच व लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता इस पद पर प्रतिनियुक्ति पर तैनात किए हुए हैं जबकि सरकार ने इस विंग की स्थापना के साथ स्पष्ट कर दिया था कि पंचायती राज विभाग में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत सभी तकनीकी कर्मचारियों को उनके सम्बन्धित विभागों में वापस भेजा जाएगा और सभी पदों को पदोन्नति के माध्यम से भरा जाएगा।

एसडीओ कर रहे पदोन्नति का इंतजार

पंचायती राज विभाग में एसडीओ पदोन्नति का इंतजार कर रहे हंै हालांकि उन्हें स्केल अधिशासी अभियंता का ही मिल रहा है लेकिन इस पद उनकी तैनाती नहीं हुई है क्योंकि सरकार उनकी पदोन्नति की वरिष्ठता को लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं ले सकी है। इसी तरह एसडीओ के 32 पदों पर कनिष्ठ अभियंताओं की पदोन्नति नहीं हो रही है जबकि दूसरी ओर राज्य स्तरीय क्वालिटी नियंत्रक व निगरानी विंग की स्थापना के 24 घंटे के अंदर ही अधिकारी की नियुक्ति कर दी।

सरकार के भेदभाव से कर्मचारी वर्ग नाराज

रिटायर्ड अधिकारियों की पुनर्नियुक्ति करने से भाजपा सरकार पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। हालांकि वर्तमान सरकार में अधिकारियों की ही पुनर्नियुक्ति की जा रही है जबकि पूर्व सरकार में अधिकारियों के साथ कर्मचारियों की भी पुनर्नियुक्ति हो रही थी। सरकार द्वारा किए जा रहे इस भेदभाव से कर्मचारी वर्ग भी नाराज है।

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