हिप्र विस में भाजपा सरकार के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव गिरा

Edited By PTI News Agency, Updated: 11 Aug, 2022 08:04 PM

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शिमला, 11 अगस्त (भाषा) हिमाचल प्रदेश विधानसभा में जयराम ठाकुर की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ विपक्षी दल कांग्रेस और माकपा की ओर से लाया गया अविश्वास प्रस्ताव बृहस्पतिवार को ध्वनि मत से अस्वीकार कर दिया गया।

शिमला, 11 अगस्त (भाषा) हिमाचल प्रदेश विधानसभा में जयराम ठाकुर की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ विपक्षी दल कांग्रेस और माकपा की ओर से लाया गया अविश्वास प्रस्ताव बृहस्पतिवार को ध्वनि मत से अस्वीकार कर दिया गया।

मुख्यमंत्री ठाकुर ने पर प्रस्ताव पर जवाब देना शुरू किया तो विपक्ष के सदस्यों ने सदन से बहिगर्मन कर दिया।
अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में चर्चा हुई। विपक्षी सदस्यों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर कानून व्यवस्था, बेरोज़गारी, मंहगाई समेत अन्य मुद्दों को लेकर निशाना साधा।

सत्तारूढ़ भाजपा ने आरोपों को खारिज किया और दावा किया कि विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है।

राज्य में विधानसभा चुनाव होने से चार महीने पहले विपक्षी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया।

विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री, कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी, रामलाल ठाकुर, हर्षवर्धन चौहान, सुखविंदर सुक्खू और माकपा के एकमात्र विधायक राकेश सिंघा ने प्रस्ताव के समर्थन में बात रखी।

वहीं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, उनके कैबिनेट सहयोगियों राकेश पठानिया, विक्रम सिंह ठाकुर, सुखराम चौधरी और भाजपा विधायक राजीव बिंदल ने सरकार की ओर से बात रखी।
पूर्वाह्न 11 बजे विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार में प्रदेश में कानून एवं व्यवस्था की हालत बदतर हो गई है।

उन्होंने कहा कि ठाकुर नीत सरकार के दौरान पहाड़ी राज्य में अब तक हत्या के 354, बलात्कार के 1574 और छेड़छाड़ के 7406 मामलों की खबर है।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायलय के निर्देश पर 2018 में सोलन जिले के 13 होटलों में अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के लिए चलाए जा रहे अभियान के दौरान सहायक नगर नियोजक शैल बाला की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई।

अग्निहोत्री ने कहा कि कांस्टेबल भर्ती के दौरान प्रश्न पत्र लीक की जांच मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को नहीं सौंपी गई।

कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने कहा कि मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर का इतना इस्तेमाल करते हैं और इतने हॉर्डिंग लगाते हैं कि उनकी छवि "हेलीकॉप्टर वाले मुख्यमंत्री" और "होर्डिंग्स वाले मुख्यमंत्री" की बन गई है।

कांग्रेस विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि यह सार्वजनिक किया जाना चाहिए कि राज्य सरकार ने मुख्य सचिव अनिल कुमार खाची को उनके पद से क्यों हटाया।

उन्होंने आरोप लगाया कि कांस्टेबल भर्ती के प्रश्न पत्र लीक में शामिल पुलिस अधिकारियों को भाजपा सरकार बचा रही है।

माकपा के एकमात्र विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि उन्हें पता था कि प्रस्ताव गिर जाएगा, लेकिन उन्होंने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) जैसे मुद्दों को उठाने के लिए नोटिस पर हस्ताक्षर किए।

चर्चा का जवाब देते हुए, मुख्यमंत्री ठाकुर ने कहा कि वह पेंशन का मुद्दा केंद्र के समक्ष उठा चुके हैं। उन्होंने विपक्ष से इसका राजनीतिकरण नहीं करने का आग्रह किया।
ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस को इस मुद्दे पर राज्य के कर्मचारियों को गुमराह नहीं करना चाहिए क्योंकि उसकी सरकार ने नई पेंशन योजना शुरू की थी।

प्रश्नपत्र लीक पर ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार ने जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है, लेकिन वह केंद्रीय एजेंसी पर मामले को अपने हाथ में लेने के लिए दबाव नहीं बना सकती है।

उन्होंने इस मामले में राज्य पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की गई जांच की भी सराहना की और कहा कि फिर से आयोजित की गई लिखित परीक्षा के बाद कांस्टेबल भर्ती की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है।

मुख्य सचिव को बदलने पर ठाकुर ने कहा कि यह सरकार का विशेषाधिकार है।

विपक्ष के बहिर्गमन पर टिप्पणी करते हुए ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस चर्चा में भाग लेने के दौरान गंभीरता दिखाने में विफल रही।

चर्चा के लिए दिए गए समय को लेकर कांग्रेस विधायकों ने जब नारेबाजी शुरू कर दी जब चर्चा का जवाब देने के लिए मुख्यमंत्री अपनी सीट से उठे थे।

कांग्रेस विधायकों ने "ये सरकार लुटेरी है", और "अली बाबा चालीस चोर" के नारे लगाने शुरू कर दिए, जिसके जवाब में सत्तारूढ़ भाजपा विधायकों ने "चोर मचाए शोर" के नारे लगाए।
68 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 43 जबकि कांग्रेस के 22 विधायक हैं। इनके अलावा दो निर्दलीय और एक माकपा का विधायक भी है।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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