साइकोलोजिस्ट करेंगे छात्रों की काऊंसलिंग, शिक्षकों को भी दी जाएगी ट्रेनिंग

Edited By Ekta, Updated: 22 Oct, 2018 11:39 AM

psychologist counseling student

सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे ऐसे छात्र जिनका पढ़ाई में मन नहीं लगता है, उनके लिए सरकार नई योजना शुरू करने जा रही है। यह योजना पहली से आठवीं कक्षा के छात्रों के लिए होगी। इस योजना के तहत स्कूलों में न्यूरो डिवैल्पमैंटल डिसऑर्डर से ग्रसित छात्रों की...

शिमला (प्रीति): सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे ऐसे छात्र जिनका पढ़ाई में मन नहीं लगता है, उनके लिए सरकार नई योजना शुरू करने जा रही है। यह योजना पहली से आठवीं कक्षा के छात्रों के लिए होगी। इस योजना के तहत स्कूलों में न्यूरो डिवैल्पमैंटल डिसऑर्डर से ग्रसित छात्रों की पहचान की जाएगी और उन्हें विभिन्न शैक्षिक तकनीकों के द्वारा कक्षा में अनुकूल वातावरण बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। श्री अरविंदो सोसायटी द्वारा यह कार्य किया जाएगा। इसको लेकर प्रदेश सरकार व सोसायटी के बीच एम.ओ.यू. साइन किया गया है। बताया जा रहा है कि सोसायटी इस काम को करने के लिए साइकोलोजिस्ट की सहायता लेगी। इससे पूर्व सोसायटी इस संबंध में शिक्षकों, शिक्षा अधिकारियों को भी ट्रेनिंग देगी ताकि शिक्षक स्कूलों में जाकर अपनी-अपनी कक्षाओं में ऐसे छात्रों को चिन्हित कर उनकी काऊंसलिंग करें। स्कूलों में ऐसे छात्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

ऐसे छात्रों को शिक्षा देना चुनौतीपूर्ण
इस परियोजना की अध्यक्ष डा. सिम्मी महाजन ने बताया कि न्यूरो डिवैल्पमैंटल विकारों से ग्रसित छात्रों की पहचान करना और उन्हें गुणात्मक शिक्षा देना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। शिक्षकों का प्रशिक्षित कर और शिक्षा अधिकारियों का उन्मुखीकरण कर हम समावेशी शिक्षा के जरिए इन बच्चों को बेहतर भविष्य देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सोसायटी कई राज्यों में ऐसे छात्रों की काऊंसलिंग कर उन्हें गुणात्मक शिक्षा दिला रही है। इसी कड़ी में अब सोसायटी हिमाचल प्रदेश में भी ये योजना शुरू करने जा रही है। 

5 प्रकार के न्यूरो डिवैल्पमैंटल विकार 
बच्चों में अक्सर 5 प्रकार के न्यूरो डिवैल्पमैंटल विकार पाए जाते हैं और परियोजना के अंतर्गत भी आयोजित होने वाले प्रशिक्षणों में शिक्षकों को इसी 5 प्रकार के न्यूरो डिवैल्पमैंटल विकार जैसे  अधिगम अक्षमता, ऑटिज़म, ए.डी.एच.डी, मैंटल रिटार्डेशन और मल्टीपल डिसबिलिटी की पहचान करने और विशेष शिक्षण तकनीक की मदद से उन्हें पढ़ाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। डा. सिम्मी महाजन ने सोसायटी सबसे पहले शिमला जिला में यह योजना शुरू क रेगी। इसके बाद दूसरे जिलों में शुरू होगी। 

विभाग करवाए बजट उपलब्ध
शिक्षकों की ट्रेनिंग के लिए शिक्षा विभाग बजट उपलब्ध करवाएगा। ये ट्रेनिंग शिक्षा निदेशालय में आयोजित करवाई जाएगी। इसमें पहली से आठवीं कक्षा तक के शिक्षकों के अलावा बी.आर.सी.सी. भी इसमें भाग लेंगे। इसके अलावा शिक्षा अधिकारी भी ये ट्रेनिंग लेंगे।

शिमला में होगी शुरूआत
इस दौरान शिमला जिला से योजना की शुरूआत की जाएगी। जिला के 21 ब्लाकों के स्कूली शिक्षकों को इसके लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। शिक्षकों की पहली ट्रेनिंग दो दिन की होगी। इसके बाद शिक्षक स्कूलों में जाकर न्यूरो डिवैल्पमैंटल डिसऑर्डर से ग्रसित छात्रों की पहचान कर उनकी सूची बनाएंगे। दूसरी ट्रेनिंग में शिक्षकों को इन छात्रों को कैसे इस बीमारी से बाहर निकालना है, इस बारे विशेषज्ञ टिप्स देंगे। ऐसे छात्रों के साथ शिक्षक का व्यवहार कैसा होना चाहिए और इन्हें कै से पढ़ाया जाना चाहिए, इस संबंध में शिक्षकों को ट्रेनिंग के दौरान तमाम जानकारियां दी जाएंगी। इसके साथ ही साइकोलोजिस्ट भी स्कूलों में जाकर ऐसे छात्रों को चैक करेंगे और उनकी काऊंसलिंग करेंगे। 

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