बद्दी में कोरोना की दवा का उत्पादन शुरू, अब बनेगी वैक्सीन

Edited By Vijay, Updated: 21 Jun, 2020 09:32 PM

production of corona drug started in baddi

हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में कोरोना की दवा के बाद अब वैक्सीन भी बनेगी। बद्दी की एक प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय बायोटैक कंपनी में वैक्सीन पर अनुंसधान चला हुआ है। इसके अलावा भी केंद्र सरकार के एक अनुसंधान संस्थान में वैक्सीन...

सोलन (नरेश पाल): हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में कोरोना की दवा के बाद अब वैक्सीन भी बनेगी। बद्दी की एक प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय बायोटैक कंपनी में वैक्सीन पर अनुंसधान चला हुआ है। इसके अलावा भी केंद्र सरकार के एक अनुसंधान संस्थान में वैक्सीन खोजने की तैयारी चली हुई है। यह प्रदेश के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है कि केंद्र सरकार से प्रदेश की एक निजी कंपनी और एक रिसर्च संस्थान को इसकी अनुमति प्रदान की गई है।

ग्लेनमार्क कंपनी ने किया दवा का उत्पादन

यहां पर विदित रहे कि हिमाचल देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में कोरोना संक्रमण की पहली दवा का उत्पादन करने में कामयाब हो गया है। देश के प्रमुख व प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन के किशनपुरा स्थित प्रतिष्ठित ग्लेनमार्क कंपनी ने इस दवा का उत्पादन किया है। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) व प्रदेश सरकार ने कंपनी को इस दवा के उत्पादन व इसे बेचने की अनुमति दे दी है। यही कारण है कि सोमवार से यह दवा बाजार में उपलब्ध होगी।

103 रुपए प्रति टैबलेट के दाम पर मिलेगी

ग्लेनमार्क ने फैबिफ्लू ब्रांड नाम से एंटीवायरल दवा फैविपिराविर को लॉन्च कर दिया है। यह दवा चिकित्सक की सलाह पर 103 रुपए प्रति टैबलेट के दाम पर मिलेगी। इस दवा की 34 टैबलेट की स्ट्रिप का अधिकतम मूल्य 3500 रुपए है। यह 200 मिलीग्राम टैबलेट के रूप उपलब्ध है। 14 दिन के इलाज पर करीब 14,000 रुपए खर्च होंगे।

बीबीएन में लॉकडाऊन में भी चलते रहे फार्मा उद्योग

कोरोना के समय से देश सेवा में बीबीएन ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। देश में प्रथम लॉकडाऊन लगते ही देश में सभी औद्योगिक क्षेत्र बंद हो गए थे। केवल बीबीएन औद्योगिक क्षेत्र में फार्मा उद्योग चले हुए थे। अमरीका सहित विश्व के कई अन्य देशों ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा की मांग की तो उस समय बीबीएन में स्थापित करीब 50 फार्मा उद्योगों ने इस दवा का उत्पादन कर देश की ही नहीं, बल्कि विश्व की मांग को भी पूरा किया। प्रदेश में करीब 50 कंपनियों के पास ही इस दवा के उत्पादन का लाइसैंस था। कोरोना के इलाज में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के साथ-साथ एजिथ्रोमाइसिन की दवा को रामबाण माना गया था। बीबीएन में इन दोनों दवाओं का उत्पादन बड़ी मात्रा में किया जा रहा है तथा देश के साथ-साथ विदेशों की मांग को भी पूरा किया जा रहा है।

बीबीएन देश का सबसे बड़ा फार्मा हब

बीबीएन प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का सबसे बड़ा फार्मा हब है। देश के कुल दवा उत्पादन का करीब 34 फीसदी उत्पादन हिमाचल में ही होता है। लॉकडाऊन के दौरान मजदूरों के लगातार पलायन व कच्चे माल की कालाबाजारी से दवाओं के कच्चे माल की कीमतों में 28 से 750 फीसदी वृद्धि के बावजूद दवाओं का उत्पादन प्रभावित नहीं हुआ। इसी का ही परिणाम है कि प्रदेश कोरोना संक्रमण की पहली दवा का उत्पादन करने में कामयाब हो गया।

हल्के संक्रमण से पीडि़त मरीजों पर काफी अच्छे नतीजे

ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ग्लेन सल्दान्हा ने बताया कि क्लीनिकल परीक्षणों में फैबिफ्लू ने कोरोना वायरस के हल्के संक्रमण से पीडि़त मरीजों पर काफी अच्छे नतीजे दिखाए हैं। कंपनी सरकार व चिकित्सा समुदाय के साथ मिलकर काम करेगी ताकि देशभर में मरीजों को यह दवा आसानी से उपलब्ध हो सके।

प्रदेश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि

डीसी सोलन केसी चमन व उप राज्य दवा नियंत्रक बद्दी मनीष कपूर ने बताया कि प्रदेश सरकार ने ग्लेनमार्क कंपनी को फैबिफ्लू दवा के उत्पादन व बेचने की अनुमति प्रदान की है। यह दवा कोरोना संक्रमण के इलाज में काफी कारगर साबित होगी। प्रदेश के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है कि देश के सबसे बड़े हब बीबीएन में इस दवा का उत्पादन किया गया है।

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