Edited By kirti, Updated: 23 Aug, 2019 11:16 AM
जिला में बेहतर शिक्षा के दावे बेशक किए जाते हों, लेकिन प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों की कमी स्थिति को स्वयं बयां कर रही है। हालात इस तरह हैं कि कहीं-कहीं एक अध्यापक पर ही पूरे स्कूल की शिक्षा का जिम्मा सौंपा गया है तो कहीं प्राइमरी स्कूलों में...
धर्मशाला : जिला में बेहतर शिक्षा के दावे बेशक किए जाते हों, लेकिन प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों की कमी स्थिति को स्वयं बयां कर रही है। हालात इस तरह हैं कि कहीं-कहीं एक अध्यापक पर ही पूरे स्कूल की शिक्षा का जिम्मा सौंपा गया है तो कहीं प्राइमरी स्कूलों में अध्यापक ही नहीं हैं। बिना अध्यापक वाले स्कूलों में अन्य समीपवर्ती स्कूलों से अध्यापकों का समायोजन किया किया है, ताकि सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो। हालांकि शिक्षा विभाग अध्यापकों की कमी के बावजूद बेहतर शिक्षा के दावे कर रहा है।
प्राइमरी स्कूलों की संख्या जिला में लगभग 1697 है, जिसमें जिला में एक-एक अध्यापक के सहारे जिला के 230 प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। शिक्षा विभाग के अनुसार जिला के स्कूलों में अध्यापकों की कमी के बारे में प्रदेश सरकार को अवगत करवाया जाता है, ताकि रिक्त पड़े पदों को भरा जा सके और बेहतर शिक्षा बच्चों को प्राप्त हो।
4 प्राइमरी स्कूलों में एक भी अध्यापक नहीं
वहीं 4 प्राइमरी स्कूलों में एक भी अध्यापक नहीं है। हालांकि शिक्षा विभाग की ओर से निकटवर्ती स्कूलों से उक्त स्कूलों में अध्यापकों का समायोजन किया जाता है, ताकि बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो।