पांवटा के इस स्कूल के 400 बच्चों पर मंडरा रहा खतरा, आलाधिकारियों के कान पर नहीं रेंग रही जूं

Edited By Simpy Khanna, Updated: 19 Sep, 2019 10:26 AM

primary school in paonta the dark under the dark truth

पांवटा साहिब के अंतर्गत आदर्श राजकीय प्राथमिक पाठशाला पांवटा साहिब में लगभग 5 वर्ष से भी अधिक समय से कक्षा का कमरा जर्जर हालत में है।अब हालत यह है कि कमरा ना होने की वजह से एक ही कमरे में दो-दो कक्षाएं बिठाने के लिए स्कूल मजबूर हो रहा है। आपको बता...

पांवटा साहिब (प्रेम वर्मा) : पांवटा साहिब के अंतर्गत आदर्श राजकीय प्राथमिक पाठशाला पांवटा साहिब में लगभग 5 वर्ष से भी अधिक समय से कक्षा का कमरा जर्जर हालत में है।अब हालत यह है कि कमरा ना होने की वजह से एक ही कमरे में दो-दो कक्षाएं बिठाने के लिए स्कूल मजबूर हो रहा है। 
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आपको बता दें आदर्श प्राथमिक पाठशाला पांवटा साहिब में लगभग 400 से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ने के लिए आते हैं और इन छात्रों में इतनी प्रतिभाएं हैं कि यह ब्लाक व जिला स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर अपने स्कूल का नाम रोशन भी करते हैं। मगर इस स्कूल की दशा देखकर दीए तले अंधेरा वाली कहावत सच साबित होती है क्योंकि पांवटा साहिब के बीचो-बीच बना यह स्कूल मिनी सचिवालय के कुछ एक कदमों की दूरी पर है। वहीं स्कूल के मैदान में वर्ष भर में कोई ना कोई ऐसा कार्यक्रम होता रहता हैं जिसमें या तो कोई नेता या फिर कोई आला अधिकारी शिरकत करता है। मगर आज तक भी किसी की नजर इस पाठशाला की टूटे-फूटे कमरे की ओर नहीं गई है। 
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स्कूल की सी एच टी इंदिरा चौहान ने बताया कि उन्होंने लगभग 5 वर्ष पहले आला अधिकारियों को इस बारे में लिखित मे जानकारी दि थी उस समय हायर अथॉरिटी ने लगभग 60 हजार के करीब राशि कमरे की रिपेयरिंग के लिए दिए थे। मगर यह राशि नाकाफी थी तो यह राशि वापस विभाग को चली गई मगर इसके बाद स्कूल प्रशासन अपनी हायर अथॉरिटी को कमरे को ठीक करने के बारे मे लिखता रहा मगर अभी तक भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। लिहाजा अब नौबत यह है कि दो-दो कक्षाएं एक ही कमरे में पढ़ने के लिए मजबूर है, जिससे जाहिर सी बात है कि बच्चों में पढ़ने के लिए और असुविधा रहती है।
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वहीं एक साथ दो टीचर किस तरह से पढ़ाते होंगे इसका अंदाजा आप लगा ही सकते हैं। इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी सरकार का आदर्श स्कूल की ओर ध्यान ना देना आदर्श स्कूल के माइनों को उलट करता नजर आता है। इस स्कूल में लगभग 400 के करीब छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं मगर उनके लिए कोई बैठने का कोई प्रबंध भी नहीं है। स्कूल के अध्यापकों ने अपने खर्चे पर बाथरूम व कमरों की साफ-सफाई के लिए कोई निजी व्यक्ति रखा है। मगर क्या सरकार का काम सिर्फ स्कूल का नाम रखना तक ही होता है। बहरहाल जब इस बारे में सी एच टी इंदिरा चौहान से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने कई बार अपनी हायर अथॉरिटी को इस बारे में अवगत कराया है। जैसे ही ऊपर से कोई आदेश होंगे इस पर कार्य किया जाएगा।
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