Edited By Ekta, Updated: 22 Aug, 2019 10:09 AM
एक तरफ उद्योगतियों पर बिजली विभाग कहर बरपा रहा है, वहीं दूसरी तरफ पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन के तहत किए अनुबंध को समय पर पूरा न करके प्रतिमाह सरकारी खजाने को 5 करोड़ का चूना लगाया जा रहा है। कालाअंब में बिजली बोर्ड की लचर कार्यशैली के कारण उद्योगपतियों...
कालाअंब (अंजलि): एक तरफ उद्योगतियों पर बिजली विभाग कहर बरपा रहा है, वहीं दूसरी तरफ पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन के तहत किए अनुबंध को समय पर पूरा न करके प्रतिमाह सरकारी खजाने को 5 करोड़ का चूना लगाया जा रहा है। कालाअंब में बिजली बोर्ड की लचर कार्यशैली के कारण उद्योगपतियों को भी प्रतिदिन लाखों रुपए का चूना लगता है। बता दें कि कालाअंब में आए दिन पेश आ रहे बिजली के अघोषित कट व 1 से 3 दिन तक लगातार चले ब्लैक आऊट ने उद्योगों की नींव हिला कर रख दी है। वहीं बिजली की सुविधा को बेहतर बनाने वाले समझौते पर भी बिजली बोर्ड पूरी तरह घुटनों पर नजर आ रहा है।
प्रतिमाह 5 करोड़ का जुर्माना क्यों?
बता दें कि कालाअंब में एक पावर हाऊस है जिस पर कालाअंब के करीब 400 उद्योगों को पावर सप्लाई दी जाती है। लगातार लगने वाले कट व ओवरलोड को कम करने के लिए पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन के साथ एक सब स्टेशन बनाने का समझौता वर्ष 2013 में किया गया था, जिसमें करार किया गया था कि मीरपुर कोटला में 400 के.वी. का सब स्टेशन पावर ग्रिड कॉर्पाेरेशन द्वारा जुलाई 2017 तक बनाया जाएगा, वहीं हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड द्वारा 220 के.वी. का सब स्टेशन वर्ष 2017 तक बनवाया जाएगा जिसके बनने से कालाअंब में बिजली की समस्या को दूर किया जा सकता था क्योंकि कालाअंब में इसके सब स्टेशन बनने से सप्लाई सुचारू हो सकती थी। इतना ही नहीं करार में यह भी तय किया गया कि दोनों पक्षों में यदि कोई अपना कार्य समय पर पूरा नहीं करता तो उस पर प्रतिमाह 5 करोड़ 22 लाख 92 हजार 663 रुपए का जुर्माना लगेगा।
इस कड़ी में पावर ग्रिड कार्पोरेशन द्वारा 400 के.वी. का सब स्टेशन कालाअंब के मीरपुर कोटला में जुलाई 2017 में तैयार कर दिया गया, परंतु हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड द्वारा सब स्टेशन बनाना तो दूर इसके लिए आज तक मात्र जमीन का निर्धारण कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है जिसकी एवज में हिमाचल बिजली बोर्ड पर वर्ष 2017 से अब तक करीब 150 करोड़ रुपए का जुर्माना बन चुका है। यहां सवाल यह भी है कि आखिर मात्र 30 करोड़ के प्रोजैक्ट को समय पर बनाकर बिजली बोर्ड ने 150 करोड़ की पैनल्टी को क्यों नहीं बचाया। इस बारे में जिला सिरमौर एस.ई. अशोक उप्रेती ने बताया कि यह मामला बिजली बोर्ड के इलैक्ट्रिकल सिस्टम विंग से जुड़ा हुआ है। इसके बारे में वे कुछ टिप्पणी नहीं कर सकते। वहीं हिमाचल बिजली बोर्ड के एम.डी. जय प्रकाश कालटा ने बताया कि ये एच.पी.पी.टी.सी.एल. से जुड़ा मामला है जिसमें वह भी कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हंै। उधर, इस बारे में एच.पी.पी.टी.सी.एल. के एम.डी. आर.के. शर्मा ने बताया कि यह जुर्माना हिमाचल के बिजली बोर्ड पर लगा है समय पर कार्य पूरा न करने के लिए। एच.पी.पी.टी.सी.एल. को ये प्रोजैक्ट पिछले वर्ष सौंपा गया है, जिसमें करीब 3 साल का समय मांगा गया है। वर्ष 2020 तक ये कार्य पूरा कर दिया जाएगा।
एच.पी.पी.टी.सी.एल. की झोली में डाला प्रोजैक्ट
बिजली बोर्ड की लेटलतीफी के चलते थक-हार कर सरकार ने ये प्रोजैक्ट हिमाचल प्रदेश के विद्युत प्रसारण निगम को सौंप दिया है, परंतु करार के तहत जुर्माना अभी भी बिजली बोर्ड पर लग रहा है। वहीं दूसरी तरफ विद्युत प्रसारण निगम ने इस प्रोजैक्ट को पूरा करने के लिए 2 से 3 साल का समय मांगा है जिसे आगामी वर्ष में पूरा करने की उम्मीद जताई जा रही है।