गरीबों तक नहीं पहुंच रहीं सरकार की योजनाएं, घने जंगल में ऐसे जिंदगी गुजारने काे मजबूर महिला

Edited By Vijay, Updated: 09 Oct, 2019 05:21 PM

poor woman live in slum

जिला कांगड़ा के अन्तर्गत ग्राम पंचायत मंदौली के गांव बासा झिकला की विधवा स्वर्णा देवी घने जंगल में एक टीननुमा जर्जर घर में गरीबी और बेबसी का जीवन जीने को मजबूर हैै। जब बरसात होती है तो वह सोना तो दूर की बात पानी से बचने के लिए पूरा दिन और रात चारपाई...

ज्वाली (दौलत चौहान): जिला कांगड़ा के अन्तर्गत ग्राम पंचायत मंदौली के गांव बासा झिकला की विधवा स्वर्णा देवी घने जंगल में एक टीननुमा जर्जर घर में गरीबी और बेबसी का जीवन जीने को मजबूर हैै। जब बरसात होती है तो वह सोना तो दूर की बात पानी से बचने के लिए पूरा दिन और रात चारपाई को इधर-उधर करते ही निकाल देती है तथा अब उसे सर्दी के मौसम की भी चिंता सताने लगी है वह सर्दी के मौसम में एक जर्जर टीननुमा झोंपड़ी जोकि हर तरफ से सड़ चुकी है, उसमें कैसे रहेगी। स्वर्णा देवी ने बताया हमारा हंसता-खेलता परिवार था लेकिन पति और बेटों की मौत होने के कारण आज वह दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हूै। उसके घर के पास अनेक घर थे लेकिन रास्ता होने के कारण सभी यहां से पलायन कर सड़क किनारे चले गए लेकिन गरीबी और परिवार में किसी के न होने कारण वह यहीं रह गई।
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बरसात में धरशायी हो गया कच्चा स्लेटपोश मकान 

बता दें कि स्वर्णा देवी पत्नी सुभाष चन्द जिनके 2 बेटे रिंकू और शामलाल और एक बेटी तृप्ता देवी थी लेकिन पति और दोनों बेटों की मृत्यु के पश्चात स्वर्णा देवी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। एक कच्चा स्लेटपोश मकान था जो बरसात में धरशायी हो गया। सरकार से उसको ठीक करने के लिए 6 हजार रुपए की मदद मिली, जिसके चलते उसने ये टीन के पतरों की झोंपडी बनाई लेकिन आज तक सरकार की किसी भी योजना का लाभ इस बुजुर्ग विधवा महिला को नहीं मिला है। सरकारें विज्ञापनों में जोरशोर से कई योजनाएं जनता को सपने की तरह दिखाती हैं लेकिन ऐसी किसी भी योजना का लाभ इस बुजुर्ग महिला को नहीं मिला है। स्वर्णा देवी ने भावुक होकर बताया कि चुनावों के समय सभी को मेरा घर दिख जाता है और जीतने के बाद कोई भी आज तक उसकी सुध लेने नही पहुंचा है।
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ऐसे हुई पति और 2 बेटों की मौत

स्वर्णा देवी का बड़ा बेटा रिंकू ट्रक ड्राइवर था। दुर्घटना में उसकी एक टांग कट गई और किसी तरह  मां और छोटे भाई ने पैसे इकट्ठे करके उसको नकली टांग लगवाई थी। पैसे के आभाव में सही इलाज न मिल पाने की चिंता के कारण पिता सुभाष चन्द्र की हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई। पिता की मौत के एक साल बाद छोटे बेटे शामलाल जोकी उस समय 20 वर्ष का था, सांप के डसने के कारण उसकी भी मृत्यु हो गई। वह मजदूरी करके पूरे परिवार और बड़े भाई की बीमारी का खर्च उठा रहा था। उसके बाद परिवार की जिम्मेदारी बड़े बेटे के कंधो पर आ गई ओर वह एक टागं के सहारे फिर से ट्रक चलाने लगा जैसे तैसे करके उसने अपनी बहन की शादी की लेकिन अपनी बीमारी की दवाई पर ध्यान नहीं दिया । जिसके कारण उसके शरीर में इंफेक्शन हो गई पैसे के अभाव के कारण इलाज ना मिल पाने के कारण वो भी काल का ग्रास बन गया।
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आजकल गरीब की कौन सुनता है : स्वर्णा देवी

स्वर्णा देवी का कहना है कि अमीरों को ही सरकार की योजनाओं का लाभ मिलता है और आजकल गरीब की कौन सुनता है। स्वर्णा देवी ने कहा कि सबको सरकार की तरफ से मुफ्त गैस का कनैक्शन मिला है लेकिन न तो मुझे आज तक कोई कनैक्शन मिला और न शौचालय योजना के तहत शौचालय बन पाया। यही नहीं, आज तक किसी भी आवास योजना में पंचायत द्वारा उसको मकान का अनुदान दिलवाने के लिए कोई कोशिश नहीं की गई।

क्या कहते हैं पंचायत प्रतिनिधि

इस संबंध में जब मदोली पंचायत की प्रधान ज्योती देवी व उपप्रधान जर्म सिहं से बात की गई तो उन्होंने कहा के विधवा महिला की हालत अति दयनीय है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाले मकान के लिए प्राथमिकता के आधार पर उसका नाम भेजा गया है। सरकार द्वारा पैसे भेजने पर ही उसके मकान का निर्माण हो सकता है।

क्या कहते हैं एसडीएम इंदौरा

इस संबंध में जब एसडीएम इन्दौरा गौरव महाजन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मीडिया के माध्यम से मामले की जानकारी मिली है, जिसकी आधिकारिक जांच करवाई जाएगी औश्र प्रशाशन की तरफ से जो सहायता की जा सकेगी वह की जाएगी।

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