गरीब की जेब खाली, पूंजीपतियों की तिजोरी भरने वाला है यह बजट : राणा

Edited By prashant sharma, Updated: 01 Feb, 2021 05:26 PM

poor s pocket empty this budget is going to fill the coffers of capitalists

केंद्र सरकार का बजट 2021-22 ने तय कर दिया है कि अब सरकार गरीब की जेब की दुश्मन बन चुकी है। केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट के बाद यह त्वरित टिप्पणी हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने की है।

हमीरपुर : केंद्र सरकार का बजट 2021-22 ने तय कर दिया है कि अब सरकार गरीब की जेब की दुश्मन बन चुकी है। केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट के बाद यह त्वरित टिप्पणी हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने की है। उन्होंने कहा कि आम गरीब नागरिक के हाथों से नकदी को दूर करने का मन्सूबा बना चुकी केंद्र सरकार देश की संपत्तियों व परिसंपत्तियों को पूंजीपतियों के हवाले कर रही है। उन्होंने कहा कि सकल घरेलु उत्पाद जीडीपी में 37 महीनों की रिकॉर्ड गिरावट का तो इस बजट में सरकार ने कोई उल्लेख नहीं किया है और न ही अर्थव्यवस्था की गति पर कोई ध्यान दिया है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री के बजट संवाद में इसका कोई जिक्र नहीं है। हालांकि करीब 3 दशकों में देश की जीडीपी रसातल में जाने के बाद यह सबसे बड़ा आर्थिक संकट देश पर बना हुआ है। लेकिन सरकार का पूरा फोक्स बेशकीमती संपत्तियों को बेचने के अलावा बजट में कोई मुख्य ध्यान नहीं दिया गया है। 

उन्होंने कहा कि इस बजट की सबसे बड़ी बात यह उभर कर आई है कि देश की अर्थव्यवस्था आगे बढ़े या न बढ़े लेकिन देश की संपत्तियों और परिसंपत्तियों को बेचना है। छोटे व मझौले कारोबारियों की मदद के साथ स्वास्थ्य व रक्षा बजट में बढ़ोतरी की जानी जरुरी थी, जो कि नहीं की गई है। रोजगार के सृजन के लिए किसानों व कामगारों की मदद का बजट 2021 में कोई विशेष जिक्र नहीं है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ठीक ही बोल रहे हैं कि ऐसा बजट कम ही देखने को मिलता है। क्योंकि ऐसा जनविरोधी बजट आज तक के इतिहास में कभी इस देश में पेश नहीं किया गया है। हैरानी यह है कि जिन करदाताओं के दम पर बची खुची देश की अर्थव्यवस्था चल रही है। उनको सरकार ने इस बजट में फुटी कौडी की राहत की घोषणा नहीं की है। महंगाई व महामारी से आम आदमी का जनजीवन दुश्वार है और केंद्र सरकार बजट में आत्मनिर्भर भारत की डींगें हांक रही है। 

उन्होंने कहा कि मोबाइल उपकरणों पर कस्टम ड्यूटी लगाकर डिजिटल भारत की बात करने वाली सरकार ने अब आम आदमी की पहुंच से मोबाइल को दूर करने का मसौदा तैयार किया है। उन्होंने कहा कि इस बजट से देश का वित्तीय घाटा कई गुना बढ़ेगा।यह बजट पेपर लेस होने के साथ विजन लेस बजट साबित हुआ है। आर्थिक बदहाली में फंसे देश का यह बजट बता रहा है कि सरकार देश को निजीकरण की ओर ले जा रही है। इस बजट में वह बोझ भी जनता पर डाले गए हैं जो बोझ जनता पर नहीं डाले जाने चाहिए थे। उन्होंने कहा कि देश की चरमराई अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए असाधारण बजट की जरूरत थी मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ है।
 

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