इस गरीब परिवार पर अब टूटने वाला दु:खों का पहाड़, मां-बेटा तिरपाल के सहारे रातें काटने को मजबूर

Edited By kirti, Updated: 09 Jun, 2019 11:05 AM

poor family

इंसान की जिंदगी में गरीबी से बड़ी लाचारी बीमारी की है। अगर बीमारी किसी गरीब को चपेट में ले ले तो उसे परिवार चलाना कठिन हो जाता है। मंडी शहर के साथ लगते मझवाड़ के निहरी का एक ऐसा ही परिवार गुरबत में जिंदगी गुजर-बसर कर रहा है। मां और बेटा दोनों...

मंडी: इंसान की जिंदगी में गरीबी से बड़ी लाचारी बीमारी की है। अगर बीमारी किसी गरीब को चपेट में ले ले तो उसे परिवार चलाना कठिन हो जाता है। मंडी शहर के साथ लगते मझवाड़ के निहरी का एक ऐसा ही परिवार गुरबत में जिंदगी गुजर-बसर कर रहा है। मां और बेटा दोनों क्षयरोग से ग्रस्त हैं और घर के मुखिया सरण की भी 2 वर्ष पहले इसी बीमारी से मौत हो चुकी है।

पिता लुहारगिरी का काम कर दूसरों के परिवारों को पालने के लिए कृषि औजारों को तेज धार देकर अपना परिवार पालता था लेकिन बेटा टेक चंद खुद बीमार होने के चलते अब इस काम को कर पाने में भी असमर्थ है क्योंकि इस काम में इतनी ताकत और परिश्रम करना पड़ता जो क्षयरोग की इस हालत में 32 वर्षीय टेक चंद के लिए संभव नहीं है। दोनों का आधा वक्त अस्पताल से दवाई लाने में ही निकल जाता है। मां निर्मला देवी और बेटा टेकचंद दोनों एक आठ बाई दस के एक कमरे में रहते हैं और उस कच्चे मकान की छत्त टपक रही है।

बरसात ने अपना रौद्र रूप दिखाया तो दोनों तिरपाल के सहारे पलंगों पर रातें काटने को मजबूर हो जाएंगे। हालांकि यह परिवार पंचायत की बी.पी.एल. सूची में भी है लेकिन मकान कब मिलेगा यह कोई बताने को तैयार नहीं है। सरकार से राशन और अन्य सामान की सुविधा तो मिल रही है लेकिन घर में न घरेलू गैस कनैक्शन है न चूल्हा जलाने के लिए पर्याप्त लकड़ी। ऐसे में बरसात आते देख इस गरीब परिवार पर अब दु:खों का पहाड़ टूटने वाला है।

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