CM से विधायकों की बैठक के बाद भी नहीं थमा सियासी उफान, संगठन महामंत्री पर फिर बरसे धवाला

Edited By Vijay, Updated: 11 Jun, 2020 08:21 PM

political storm did not stop even after meeting from cm of mlas

हिमाचल प्रदेश के बड़े जिला कांगड़ा में आए भाजपा के सियासी उफान को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने सरकारी निवास स्थान ओक ओवर में कांगड़ा जिला के सभी विधायकों को बुलाकर मंत्रणा की और लंच भी दिया लेकिन उफान थमने की बजाय और उग्र होता...

शिमला (योगराज): हिमाचल प्रदेश के बड़े जिला कांगड़ा में आए भाजपा के सियासी उफान को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने सरकारी निवास स्थान ओक ओवर में कांगड़ा जिला के सभी विधायकों को बुलाकर मंत्रणा की और लंच भी दिया लेकिन उफान थमने की बजाय और उग्र होता नजर आ रहा है। विधायक रमेश धवाला ने एक बार फिर से संगठन महामंत्री पवन राणा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि संगठन और सरकार में तालमेल होना जरूरी है लेकिन ऐसा हो नहीं रहा। संगठन विधायकों को कमजोर करने का काम कर रहा है।

रमेश धवाला ने मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में एक बार खुलकर नाराजगी जताने के साथ मुख्यमंत्री से स्थिति संभालने को कहा है। उन्होंने कांगड़ा जिला खासकर उनके चुनाव क्षेत्र ज्वालामुखी में संगठन के शीर्ष नेता और महामंत्री पवन राणा की दखलअंदाजी के आरोप दोहराए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को संगठन महामंत्री के खिलाफ पहले भी शिकायत की थी लेकिन उस पर किसी तरह का अंकुश न लगने और कार्यवाही नं होने से नाराज धवाला का दर्द एक बार फिर बैठक में छलका है।

धवाला ने कहा कि बैठक में कांगड़ा के विधायकों ने संगठन के दखल की बात रखी है क्योंकि कांगड़ा में कुछ ऐसे लोगों को पार्टी में लिया गया है जो बीजेपी के खिलाफ नारेबाजी करते थे, जिससे विधायकों के साथ-साथ कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। ऐसे लोगों के संगठन में होने से आने वाले 2022 के चुनावों में पार्टी को नुक्सान होगा। इसके अलावा संगठन विधायकों के कार्य क्षेत्र में भी दखल दे रहा है। संगठन को अपना काम करना चाहिए और सरकार को काम, दोनों में दखल नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायक जीतेंगे तभी मुख्यमंत्री बनता है।

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने सभी की बात को सुना है और कहा कि पार्टी हाईकमान के सामने मसले को रखा जाएगा और वही निर्णय लेंगे। धवाला ने कहा कि सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है कि हिमाचल प्रदेश में बेहतरीन काम कर जनता के साथ किए वायदों को जमीन पर उतारा जाए लेकिन संगठन के शीर्ष पर बैठे हुए कुछ नेता केवल संगठन और सरकार को कमजोर करने में लगे हुए हैं जो सही नहीं ठहराया जा सकता।

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