लाहौल-स्पीति में राजनीतिक सरगर्मियां नगण्य, 40% आबादी ही घाटी में मौजूद

Edited By Ekta, Updated: 04 Apr, 2019 10:32 AM

political stirring negligible in lahaul spiti

चुनाव आयोग के जनजातीय जिलों में प्रदेश के अन्य हिस्सों के साथ चुनाव करने की घोषणा के साथ यहां अभी भी राजनीतिक सरगर्मियां नगण्य ही हैं। ये इलाके अभी ऊंचे-ऊंचे दर्रों से चारों तरफ से भारी बर्फबारी के कारण अलग-थलग हैं और यहां पहुंचने का एकमात्र जरिया...

केलांग (रेलिंग्पा): चुनाव आयोग के जनजातीय जिलों में प्रदेश के अन्य हिस्सों के साथ चुनाव करने की घोषणा के साथ यहां अभी भी राजनीतिक सरगर्मियां नगण्य ही हैं। ये इलाके अभी ऊंचे-ऊंचे दर्रों से चारों तरफ से भारी बर्फबारी के कारण अलग-थलग हैं और यहां पहुंचने का एकमात्र जरिया हैलीकॉप्टर ही है। ऊपर से सर्दियों में लाहौल-स्पीति और पांगी के लोग भीषण ठंड से बचने के लिए बड़ी संख्या में कुल्लू, मनाली, शिमला और चम्बा पलायन कर जाते हैं। मुश्किल से 40 फीसदी आबादी ही घाटी में मौजूद है। बिजली, पानी, फोन व सड़क की समस्या को लेकर लाहौल तथा पांगी की कई पंचायतें चुनाव बहिष्कार की भी धमकी दे चुकी हैं। 

अधिकतर संपर्क सड़कें अभी भी बर्फ से लकदक हैं। अगर समय रहते हैलीकॉप्टर की अतिरिक्त उड़ानों की व्यवस्था न की गई या रोहतांग टनल से अनुमति न दी जाए तो जिलों से बाहर कालेज और विश्वविद्यायलों में पढ़ने वाले हजारों युवा मतदाता मताधिकार से वंचित रह जाएंगे। चुनाव आयोग के फैसले से सभी राजनीतिक दलों केनेताओं की नींद उड़ी हुई है। प्रत्याशियों और कार्यकत्र्ताओं का पैदल बर्फ में चलकर हर गांव में पहुंचना अभी असंभव है। इन सब मुश्किलों को देखते हुए पार्टियां चुनाव प्रचार में कूदने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं। चुनाव आयोग कें सख्त निर्देशों के मद्देनजर प्रशासन भी चुनाव की तैयारी में जुट गया है। चुनाव आयोग द्वारा बी.आर.ओ. तथा दूरसंचार विभाग को दिए गए निर्देशों का अभी तक जमीनी स्तर पर कोई असर होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। मतदान को सुचारू रूप से करवाने के लिए लाहौल में 63 तथा स्पीति में 29 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।

हैलीकॉप्टर की तीन स्पैशल उड़ानें करवाईं

जनजातीय इलाकों में चुनावी शोर-शराबा तो दूर झंडे और बैनर तक नहीं दिख रहे हैं और न ही किसी राजनीतिक दल के नेता ने दस्तक दी है। चुनावों में मतदाता से संवाद जरूरी है लेकिन जब तक रोहतांग, कुंजुम और साच दर्रा से युद्धस्तर पर बर्फ को हटाया नहीं जाता तब तक इन इलाकों में प्रत्याशी और मतदाता के बीच शायद ही संवाद स्थापित हो पाए। परिस्थितियों की गंभीरता को देखते हुए चुनाव आयोग ने बुधवार को हैलीकॉप्टर की 3 स्पैशल उड़ानें करवाई हैं, जिसमें कुल्लू में फंसे 60 कर्मचारियों और अधिकारियों को लाहौल पहुंचाने की व्यवस्था की गई है ताकि वे लोग चुनावी प्रक्रिया में भाग ले सकें।



 

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