Edited By Ekta, Updated: 19 Dec, 2018 11:35 AM
पांवटा साहिब के साथ लगते कफोटा क्षेत्र में बिरोजे के अंधाधुंध दोहन के कारण चीड़ के पेड़ों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। वन विभाग की कफोटा बीट के तहत निजी और सरकारी वन भूमि पर चीड़ के पेड़ों से बिरोजा निकालने का ठेका दिया गया है। यहां चीड़ के...
पांवटा साहिब (रॉबिन शर्मा): पांवटा साहिब के साथ लगते कफोटा क्षेत्र में बिरोजे के अंधाधुंध दोहन के कारण चीड़ के पेड़ों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। वन विभाग की कफोटा बीट के तहत निजी और सरकारी वन भूमि पर चीड़ के पेड़ों से बिरोजा निकालने का ठेका दिया गया है। यहां चीड़ के हजारों पेड़ों से बिरोजा निकाला जा रहा है। लेकिन बिरोजा निकालने का तरीका पेड़ों के अस्तित्व पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। थोड़े से पैसों के लालच में बिरोजा निकालने के लिए तय मानकों का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा। जिससे कई पेड़ सूख कर गिरने की कगार पर पहुंच गए हैं। सबसे गंभीर बात यह है कि बिरोजा निकालने के लिए चीड़ के एक-एक पेड़ पर कई जगह कट लगाकर चार-चार कीप लगाई जा रहा है और तो ओर कट वाली जगह पर तेजाब का छिड़काव भी किया जा रहा है ताकि बिरोजा का फ्लो बढ़ जाए और कम समय में ज्यादा बिरोजा निकाला जा सके। लेकिन इससे पेड़ों को नुकासन हो रहा है और वह सूख कर गिरने लगे हैं।
स्थानीय लोगों ने इस पर अंकुश लगाने की मांग की है। चीड़ के पेड़ अंधाधुध विरोजे के दोहन के कारण खतरे की जद में हैं। लेकिन वन विभाग सहित सभी जिम्मेदार विभाग मामले से अनजान बने हुए हैं। अधिकारी यहां जाकर जांच करने की जहमत भी नहीं उठाते। जब यह मामला वन मंडल अधिकारी के समक्ष उठाया गया तो उन्होंने भी मामले में जानकारी ना होने की बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि अवैज्ञानिक ढंग से बिरोजे के दोहन से पर्यावरण को भी खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में एक तरफ जहां सरकार और विभाग पेड़ लगाए और पेड़ बचाने के दावे करता है वहीं कफोटा क्षेत्र में चीड़ के पेड़ों पर ढाया जा रहा सितम सभी दावों की हवा निकाल रहा है।