राणा का मोबाइल नंबर बना हेल्पलाइन, कहा-प्रदेश के बाहर फंसे लोग हैं बहुत बेबस और लाचार

Edited By kirti, Updated: 01 Apr, 2020 04:14 PM

people stranded outside the state are helpless and helpless

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कुलदीप राठौर द्वारा राज्य उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा को चंडीगढ़, पंजाब व इसके आसपास के क्षेत्रों में कोरोना से प्रभावित कामगारों व छात्रों की मदद के लिए अधिकृत करने के बाद जैसे ही राजेंद्र राणा का...

हमीरपुर : हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कुलदीप राठौर द्वारा राज्य उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा को चंडीगढ़, पंजाब व इसके आसपास के क्षेत्रों में कोरोना से प्रभावित कामगारों व छात्रों की मदद के लिए अधिकृत करने के बाद जैसे ही राजेंद्र राणा का मोबाइल नंबर सोशल मीडिया व मीडिया पर वायरल हुआ, राजेंद्र राणा के मोबाइल पर सैकड़ों फंसे हुए हिमाचली गुहार लगाने लगे हैं। आलम यह है कि जब से यह नंबर वायरल हुआ है तब से लगातार इस नंबर पर राज्य से बाहर फंसे हुए लोगों के फोन आ रहे हैं। 

राणा ने बताया कि अब लोग उन्हें लगातार यह शिकायत भी करने लगे हैं कि आपका नंबर लगातार व्यस्त आ रहा है। मैं पिछले एक घंटे से आपको कॉल कर रहा हुं। राणा ने कहा कि अनेक फंसे हुए लोग असहाय अवस्था में लगातार उन्हें घर पहुंचाने की गुहार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इधर हिमाचल से उन माता-पिता के फोन सबसे ज्यादा आ रहे हैं जिनकी बेटियां अब चंडीगढ़ व पंजाब की पीजी में अकेले ही रह रही हैं। क्योंकि उनके बाकी साथी घरों को जा चुके हैं। ऐसे माता-पिता ने फोन पर बताया कि हमारी बेटियों को घरों तक लाने का प्रयत्न करो हम आपके आभारी होंगे। जबकि जो लोग हिमाचल के सीमांत जिलों के बॉर्डरों पर पहुंचे हैं, उनकी हालत भी काफी खराब है। 

उन्होंने बताया कि बिलासपुर के स्वारघाट से उन्हें कुछ लोगों के फोन आए कि उन्हें यहां बैरियर पर रोका गया है और उन्हें पशुओं से भी बदतर रखा गया है। सरकार किस सोशल डिस्टेंस की बात कर रही है। यहां एक-एक फुट की दूरी पर आदमी के साथ आदमी पड़ा रहने को लाचार है। उन्होंने कहा कि स्वारघाट से क्वांरटाईन में रखे पीड़ित लोगों ने बताया कि अभी तक एक बार भी डीसी बिलासपुर ने यहां की खराब हालत का जायजा नहीं लिया है। जबकि बीते रोज 31 मार्च मंगलवार को एक साहब हमारी दुर्दशा देखने अचानक पहुंचे तब जाकर हमें कुछ राहत मिली है। पता करने पर बताया गया कि यह साहब मंडी के डिवीजनल कमिश्नर थे जिन्होंने हमारी हालत पर तरस खाकर इंतजाम करने वालों को कड़ी फटकार लगाई। तब जाकर हमें कुछ राहत प्रदान की गई। उधर ऊना से भी क्वारंटाईन में रखे लोगों की ऐसी ही हालत बताई गई है। 

उन्होंने कहा कि पंजाब के अमृतसर व लुधियाना में फंसे लोगों ने बताया कि चुनाव के वक्त जब वोटों की जरुरत थी तो हमें गाड़ियों में भरभर कर हिमाचल ले जाया जाता था लेकिन आज इस महामारी में हमारी हालत पूछने वाला कोई नहीं हैं। जिन लोगों ने कोरोना देश में लाया उनको सरकार हवाई जहाजों में भरकर लाई लेकिन जो लोग अपने ही देश के राज्यों में यहां वहां फंसे हैं उनकी आज कोई सुध लेने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि लोगों ने फोन पर यहां तक बताया कि हिमाचल के बॉर्डर पर जिन लोगों को क्वारंटाईन के नाम पर जबरन रोका गया है उन्हें इतने अमानवीय तरीके से रखा गया है मानों वो किसी नाजी कैंप के कैदी हों। 

उन्होंने कहा कि लोग उन्हें फोन करके यह बता रहे हैं कि कोरोना के कसूरवार हम नहीं हैं तो हमारे साथ कैदियों जैसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है। अगर क्वारंटाईन के नाम पर हमें ऐसे ही अमानवीय तरीके से रखना है तो बेहतर होगा कि हमारा मेडिकल करवाकर हमें घरों को भेजा जाए ताकि हम वहां खुद क्वारंटाईन में रह सकें। लोगों के वेदना भरे फोन सुन कर कलेजा मुंह को आ रहा है। सरकार तत्काल प्रभाव से राज्य के बाहर फंसे लोगों व हिमाचली बॉर्डर पर राहत कैंपों में रखे लोगों की राहत के लिए प्रभावी कदम उठाए। उन्होंने प्रदेश की जनता से अपील की है कि सरकार उन्हें राहत देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। संकट की इस घड़ी में संयम से काम लें। जबकि जिन लोगों के फोन आए हैं उनकी बात भी वह सरकार व प्रशासन तक पहुंचाने के काम स्वयं कर रहे हैं, इसलिए अनावश्यक तनाव न लें।
 

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