अब CAA की आड़ में देश की जनता से होने जा रहा है बहुत बड़ा खिलवाड़ : अभिषेक राणा

Edited By kirti, Updated: 30 Dec, 2019 05:37 PM

people of the country are going to be a big mess in the guise of caa

सिटीजन अमेंडमेंट एक्ट की आड़ में केन्द्र सरकार देश हित्तों के साथ बड़ा खिलवाड़ कर रही है। देश के संविधान के विरूद्ध सीएए इस देश में गृह युद्ध जैसे हालात पैदा कर रहा है। इस कानून से संविधान के आर्टिकल 14, 15 और 21 की सरेआम अवेहलना हो रही है। कोई भी...

हमीरपुर:सिटीजन अमेंडमेंट एक्ट की आड़ में केन्द्र सरकार देश हित्तों के साथ बड़ा खिलवाड़ कर रही है। देश के संविधान के विरूद्ध सीएए इस देश में गृह युद्ध जैसे हालात पैदा कर रहा है। इस कानून से संविधान के आर्टिकल 14, 15 और 21 की सरेआम अवेहलना हो रही है। कोई भी कानून देशवासियों से बड़ा नहीं है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी देश में जोर जबरदस्ती का दौर चला कर संख्याबल के दम पर देश के जनादेश से खिलवाड़ करके ऐसे कानूनों को लागु करना चाहते हैं जिनसे देश वासियों का अहित्त हो।

यह बात प्रदेश कांग्रेस मीडिया सेल के युवा चेयरमैन अभिषेक राणा ने हमीरपुर के हमीर होटल आयोजित प्रेस वात्र्ता में कही। उन्होंने कहा कि सीएए तो बहाना है दरअसल में इस जोड़ी का मकसद देश की खराब होती माली हालत के मुद्दों की तरफ से ध्यान भटकाना है। राणा ने कहा कि एनडीए के सहयोगी दल भी सीएए पर आपत्तियां जता रहे हैं लेकिन अपने खिलाफ कुछ न सुनने के आदी सरकार अपनी पूरी मनमानी के दौर में है। राणा बोले कि संसद के अंदर और संसद के बाहर बीजेपी के सहयोगी व अकाली दल के वरिष्ठ नेता सुखवीर बादल ने घोर आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर सीएए सेर्कुलर है तो इसमें मुस्लिम समुदाय को शामिल क्यों नहीं किया गया है।
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राणा ने कहा कि अब सीएए के बाद एनआरसी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप का खतरनाक राजनीतिक खेल खेला जाएगा। जिसमें हर भारतीय को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दर्जनों दस्तावेज बनाने के लिए एक बार फिर नोटबंदी की तरह लाईनों में लगना पड़ेगा। एनपीआर नेशनल पापुलेशन रजिस्टर, एनसीआर का पहला चरण है। हालांकि देश की जनता को गुमराह करके गृह मंत्री अमित शाह के जुबानी बयान और उन्हीं के मंत्रालय की 2018-19 की रिर्पोट सपष्ट कर रही है कि गृह मंत्री झूठ बोल कर जनता को गुमराह करने में लगे हैं। राणा ने कहा कि गृह मंत्रालय की 2018-19 के 15वेें अध्याय में सपष्ट दर्ज है कि एनपीआर, एनआरसी की दिशा में पहला कदम है। इसी रिर्पोट के 273वें पन्नें पर कहा गया है कि एनपीआर ही एनआरसी बनाने की पहली स्टेज है।

ऐसे में जनता होम मिनिस्टर के जुबानी बयान पर भरोसा करे या उनके मंत्रालय के दस्तावेजों पर भरोसा करे कुछ भी सपष्ट नहीं है। इतना भी नहीं सरकार अब तक 9 बार सपष्ट कर चुकी है कि एनपीआर के आधार पर ही एनसीआर आएगा। जो भारत में रहने वाले नागरिकों की पुष्टि करेगा। राणा ने कहा कि यह गड़बड़झाला इसलिए है कि देश की जनता एक बार फिर नोटबंदी के दौर की तरह लाईनों में खड़े होकर दस्तावेज बनाने के लिए परेशानी के आलम में रहे और बेरोजगारी जीडीपी दर का निरंतर गिरना, मंहगाई जैसे अहम मुद्दों पर कुछ सोचे-समझे न ही कुछ बोले। सरकार अपनी सत्ता का समय ऐसे बेफिजूल के मुद्दों को लादकर पास कर रही है। जो कि लोकतंत्र व देश की जनता के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
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राणा ने चुनौती दी है कि हिमाचल बीजेपी या केन्द्र बीजेपी से कोई भी नेता इस मुद्दे पर बहस करने के लिए जन अदालत में आना चाहता है तो समय और स्थान निश्चित करें। वह इस मुद्दे पर न केवल बहस करने वाले नेताओं के साथ जनता को यह समझाने में सक्षम है कि इन कानूनों से देश का कितना बड़ा अहित होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का पहला देश बन चुका है जिसमें एक साल में 95वें बार इंटरनेट शट डाउन किया गया है। ताकि आम पढ़े-लिखे बेरोजगार, नौजवान तक मामलों की असलियत न पहुंच सके। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश का मीडिया सेल अब शहर से गांव तक इन मुद्दों की असलियत बताने के लिए जन जागरण अभियान छेड़ेगा।

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