कुल्लू में एक के बाद एक 14 धमाकों से सहमे लोग (Watch Video)

Edited By Ekta, Updated: 21 Apr, 2019 11:48 AM

पार्वती घाटी के छिंजरा गांव के लिए खतरा बनी चट्टान को शनिवार को प्रशासन ने 14 धमाकों के साथ चकनाचूर कर दिया। विशालकाय चट्टान का मलबा धमाकों के बाद काफी देर तक गांव की ओर गिरता रहा। लोगों का कहना है कि यह चट्टान 4 कमरों के मकान के आकार से भी बड़ी थी।...

कुल्लू (शम्भू): पार्वती घाटी के छिंजरा गांव के लिए खतरा बनी चट्टान को शनिवार को प्रशासन ने 14 धमाकों के साथ चकनाचूर कर दिया। विशालकाय चट्टान का मलबा धमाकों के बाद काफी देर तक गांव की ओर गिरता रहा। लोगों का कहना है कि यह चट्टान 4 कमरों के मकान के आकार से भी बड़ी थी। इसके साथ और भी कई चट्टानें थीं, जो गांव के लिए खतरा बनी हुई थीं। शनिवार को इस खतरे से छिंजरा गांव को मुक्त कर दिया गया। इस गांव में फरवरी महीने में इसी जगह से पत्थर गिरे थे। उसके बाद गांव के कई लोग अपने घरों को खाली करके यहां से शिफ्ट हो गए थे। लोगों को लग रहा था कि अब वे कभी भी अपने घरों में नहीं जा पाएंगे। 
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लोग यहां तक कह रहे थे कि उनके घर अब खंडहर हो जाएंगे। कुछ दिन पहले छिंजरा के लोगों ने परेशान होकर लोकसभा चुनाव में मतदान प्रक्रिया का भी बहिष्कार करने का ऐलान किया था। उसके बाद डी.सी. कुल्लू यूनुस ने इसके ग्रामीणों को कुल्लू बुलाया और एस.डी.एम. अनुराग चंद्र शर्मा को लोगों की समस्या का समाधान करने को कहा। प्रशासन का कहना है कि इस चट्टान को पहले ही चकनाचूर कर गांव को खतरे से मुक्त किया जाना था, लेकिन ब्लास्टिंग आदि की व्यवस्था में समय लगा। 31 मार्च तक एक्सप्लोसिव का लाइसैंस खत्म था और उसे रिन्यू करवाना होता है। इस प्रक्रिया में देरी के चलते खतरा बनी चट्टान को तोड़ने में कुछ देर हुई।
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कई दिनों के बाद अपने घर गए ग्रामीण

ग्रामीणों वार्ड पंच ऊषा देवी, मेघ सिंह, राम लाल शर्मा, रोशनी देवी, कन्हैया लाल, प्रदीप कुमार, संजीव शर्मा व ओम प्रकाश सहित अन्य लोगों ने कहा कि वे अपने घरों में भी नहीं जा पा रहे थे। शनिवार को ब्लास्टिंग के पश्चात जब खतरा बनी चट्टान चकनाचूर हुई तो उसके बाद अपने बंद पड़े घरों में जाकर राहत की सांस ली। प्रदीप कुमार ने बताया कि इस खतरे के चलते उन्होंने अपने मवेशियों को भी रिश्तेदारों को दे दिया था। ब्लास्टिंग से एक शौचालय टूट गया और कुछ घरों के शीशे भी टूटे तथा एक मकान के साथ गऊशाला को हल्की क्षति पहुंची। ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने इस नुक्सान के लिए पहले ही प्रशासन को आश्वस्त किया था कि वे इसके लिए कोई क्लेम नहीं करेंगे। इसके लिए बाकायदा शपथ पत्र दे दिए थे। ग्रामीणों ने कहा कि अब वे चैन से अपने घरों में रह सकेंगे। ग्रामीणों ने कहा कि यदि जंगल में पानी की निकासी के लिए एक नाली तैयार की जाए तो खतरा बिल्कुल नहीं रहेगा।

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