लोगों ने मछली पालन को बनाया रोजगार

Edited By kirti, Updated: 21 May, 2018 10:05 AM

people created jobs for fish farming

चंद लकीरों से कुछ नहीं होताहों तो पत्थरों से भी पानी निकाला जा सकता है अर्थात मेहनत के बल पर असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। इसी बात को सिद्ध कर दिखाया है दयोली के सरड़ गांव निवासी रूप लाल ने। गरीबी की जिंदगी जी रहे रूप लाल ने पहले तो दूसरे जिलों...

बिलासपुर : चंद लकीरों से कुछ नहीं होताहों तो पत्थरों से भी पानी निकाला जा सकता है अर्थात मेहनत के बल पर असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। इसी बात को सिद्ध कर दिखाया है दयोली के सरड़ गांव निवासी रूप लाल ने। गरीबी की जिंदगी जी रहे रूप लाल ने पहले तो दूसरे जिलों में जाकर मजदूरी करके अपना व अपने परिवार का पालन-पोषण किया लेकिन जब गुजारा करना मुश्किल हो गया तो वह वापस अपने घर आ गया। यहां पर उसने कृषि करना शुरू कर दिया लेकिन उत्पाती जानवरों ने उसकी खेती को उजाड़ दिया। ऐसे में उसने घर से कुछ ही दूर मछली फ्राई की दुकान खोल ली लेकिन किस्मत ने यहां भी अधिक साथ न दिया। नियमित रूप से खड्ड से मछलियों को न पकड़ पाने की स्थिति में रूप लाल की अार्थिक स्थिति में कोई विशेष इजाफा नहीं हुआ।

मछली न पकड़ पाने की स्थिति 
परिणाम मात्र 5-6 हजार रुपए की मासिक आमदनी से घर का खर्चा तक चलाना अत्यंत दूभर हो गया। अनियमित व्यवसाय के चलते रूप लाल को पुन: परेशानियों ने घेरना आरंभ कर दिया। ऐसे में मत्स्य विभाग की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना ने रूप लाल को रोजगार की नई राह दिखाई। मत्स्य विभाग ने वर्ष 2013-14 में रूप लाल के मत्स्य के व्यवसाय को बढ़ाने के लिए न केवल प्रशिक्षण ही दिलवाया अपितु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत मछली पालन के लिए तालाब निर्माण हेतु 75,000 रुपए की राशि भी अनुदान के रूप में उपलब्ध करवाई और कॉमन कॉर्प मछली पालन का कार्य आरम्भ करवाया। अब रूप लाल खड्ड से मछली न पकड़ पाने की स्थिति में अपने तालाब से आसानी से मछलियां निकाल कर नियमित रूप से उनकी बिक्री करने लगा।

अली खड्ड का पानी 12 महीने उपलब्ध रहता 
रूप लाल के मछली तालाबों के लिए लगभग 20 किलोमीटर दूर सोलन जिला के पिपलू घाट के चमाकड़ी से प्रवेश करने वाली अली खड्ड का पानी 12 महीने उपलब्ध रहता है, जिसमें 4 किलोमीटर दूरी पर स्थित मारकंड के प्राकृतिक स्रोत व मटियाणु का ठंडा पानी भी शामिल है। रूप लाल ने अपने बढ़ते व्यवसाय व मछली की मांग को देखते हुए एक अन्य तालाब के निर्माण के लिए मत्स्य विभाग से 36,000 रुपए अनुदान के रूप में प्राप्त किए तथा लगभग एक लाख 25 हजार रुपए की स्वयं की राशि खर्च करके तीसरे तालाब का निर्माण करके कॉमन कॉर्प, राहो व मोरी नस्ल की मछली पालन की प्रक्रिया को भी विस्तार दिया।

अब 6 से 10 कविंटल मछली का वार्षिक उत्पादन हो रहा
रूप लाल के तालाबों में अब 6 से 10 कविंटल मछली का वार्षिक उत्पादन हो रहा है। कभी नंगे पांव लोगों के घर-द्वार मजदूरी मांगने के लिए भटकता रूप लाल आज अपनी मेहनत व धैर्य के बल पर सरकार द्वारा चलाई गई योजना का लाभ प्राप्त करके अपनी चौपहिया गाड़ी से अपने व्यवसाय को विस्तार देने में जुटा है तथा इसमें उसका 26 वर्षीय बेटा रमेश भी उसका हाथ बंटा रहा है जबकि गांव के अन्य युवकों ने रूप लाल की राह पर चलकर मत्स्य पालन को स्वरोजगार के रूप में अपनाकर अपनी आजीविका का साधन बनाया है। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!