TMC में सुविधाओं के अभाव पर पठानिया ने घेरी सरकार, कहा-हालत बहुत खराब

Edited By Vijay, Updated: 04 Apr, 2018 11:04 PM

pathania surrounded the government in the absence of facilities in tmc

टांडा मैडीकल कालेज में सुविधाओं के अभाव का मुद्दा उठाते हुए विधायक राकेश पठानिया ने सदन में अपनी ही सरकार की घेराबंदी की। नियम-62 के तहत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाते हुए विधायक ने कहा कि टांडा में हालत बहुत खराब है जबकि यह मैडीकल कालेज व अस्पताल राज्य...

शिमला: टांडा मैडीकल कालेज में सुविधाओं के अभाव का मुद्दा उठाते हुए विधायक राकेश पठानिया ने सदन में अपनी ही सरकार की घेराबंदी की। नियम-62 के तहत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाते हुए विधायक ने कहा कि टांडा में हालत बहुत खराब है जबकि यह मैडीकल कालेज व अस्पताल राज्य के 6 जिलों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं दे रहा है। उन्होंने कहा कि टांडा में करोड़ों रुपए का लिनियर एक्सीलेटर डेढ़ साल से डिपो में बंद है जबकि हार्ट बाईपास सर्जरी के उपकरणों का भी यही हाल है। उन्होंने अस्पताल में फैली गंदगी और आई.सी.यू. की खस्ता हालत का मामला भी उठाया तथा कहा कि महज सी.टी. स्कैन और एक्स-रे करवाने के लिए भी लोगों को तारीखें लेनी पड़ रही हैं। उन्होंने अस्पताल में स्टाफ  की कमी का मामला भी उठाया और कहा कि यहां बिस्तरों की संख्या 829 तक पहुंच गई है, जबकि स्टाफ  केवल 500 बिस्तरों के लिए ही है। पूरे जोश के साथ उन्होंने सदन में यह मुद्दा उठाया, जिस पर स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार भी घिरते नजर आए। 


मुख्यमंत्री को करना पड़ा हस्तक्षेप
इस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को हस्तक्षेप करना पड़ा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की जनता को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए सरकार जो कुछ भी कर सकती है, वो करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने टांडा मैडीकल कालेज का दौरा किया है। उनका कहना था कि नेता वहां दौरे पर जाते हैं लेकिन उस समय सफाई बेहतर होती है परंतु ऐसा न हो कि केवल नेताओं के दौरे पर ही ऐसा किया जाए। उन्होंने कहा कि एक बैड पर 3-3 मरीज हैं, इस व्यवस्था को भी ठीक करना होगा। सी.एम. ने कहा कि 23 करोड़ रुपए की लागत से यहां कैंसर के इलाज के लिए सैटअप किया गया है। इसके लिए तकनीकी लोग नहीं हैं, जिनकी व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि मरीजों को उचित इलाज मिले, इसे सरकार सुनिश्चित बनाएगी। देखा जाए तो इससे पहले भी विधायक राकेश पठानिया कई मुद्दों पर सरकार को घेरते नजर आए हैं।


स्वास्थ्य मंत्री बोले, छोटी-छोटी कमियों को करेंगे पूरा
स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने जवाब में यह कह डाला कि छोटी-छोटी कमियों को दूर करेंगे। इस पर विधायक राकेश पठानिया नाराज हो गए। यही वजह थी कि मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा। पठानिया ने मंत्री से कहा कि वे उनके द्वारा उठाए गए मामले को हल्के में न लें और जो वहां कमियां हैं, वे छोटी-छोटी नहीं हैं बल्कि बहुत बड़ी हैं। स्नेक बाइट से लोग मर रहे हैं, यह छोटी बात नहीं है। एक्स-रे के लिए 2 से 3 दिन लग रहे हैं, यह छोटी बात नहीं है और एम.आर.आई. के लिए 10 दिन से ज्यादा लगते हैं, यह भी छोटी बात नहीं है। इस पर मंत्री ने कहा कि वे कोई भी बात हल्के में नहीं लेते और जो कहते हैं वह बड़ी जिम्मेदारी से कहते हैं।


टांडा कालेज को चलाने में आई.जी.एम.सी. का बड़ा योगदान
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि टांडा कालेज को चलाने के लिए आई.जी.एम.सी. का बड़ा योगदान है। पहले एक ही मैडीकल कालेज होता था लेकिन अब 6 हैं। भविष्य में एक समय में 500 डाक्टर इन कालेजों से निकलेंगे। इसके बाद डाक्टरों की कमी भी नहीं रहेगी। उन्होंने बताया कि टांडा में 151 फैकल्टी पोस्ट स्वीकृत हैं, जिसमें से 98 पद भरे गए हैं, 53 खाली हैं। नैफरोलॉजी विभाग आई.जी.एम.सी. में ही सशक्त नहीं है तो टांडा में कैसे होगा, क्योंकि उस स्तर के डाक्टर ही उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने बताया कि टांडा में रोजाना 2200 ओ.पी.डी. है।


26 में से 16 वैंटीलेटर चल रहे
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कैंसर उपचार की मशीनें केंद्र ने दी हैं, जिनको चलाने के लिए तकनीशियन चाहिए। इसके लिए भावा ऑटोनोमिक सैंटर मुंबई से मंजूरी मांगी गई है। इसके अलावा 26 में से 16 वैंटीलेटर चल रहे हैं और शेष को ठीक करवाने के लिए कहा जाएगा। परमार ने कहा कि टांडा के लिए केंद्र से ट्रामा सैंटर की भी मांग उठाई गई है वहीं बर्न यूनिट भी काम कर रहा है। सुपर स्पैशलिटी शुरू की गई है। इसके लिए पैरा मैडीकल स्टाफ की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यहां पर सभी तरह की कमियों को दूर करने का सरकार प्रयास करेगी।


पठानिया बोले, सुझावों को नहीं मानता प्रशासन 
विधायक ने यहां तक कहा कि उनके सुझावों को प्रशासन नहीं मानता और मंत्रियों तक की बात नहीं सुनी जाती, क्योंकि एक दल विशेष के लोग वहां पर बिठाए गए हैं। उन्होंने एस.आर.एल. लैब पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आई.सी.यू. में सिलैंडरों को चलाने के लिए पत्थर रखे गए हैं।

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