Edited By Vijay, Updated: 21 Aug, 2018 10:14 PM
हिमाचल की कुछ पंचायतें सालों से बजट होने के बाद भी पैसा खर्च नहीं कर पाई हैं। 14वें वित्तायोग का करीब 500 करोड़ रुपए पंचायतों में बीते 4-5 सालों से बकाया बताया जा रहा है।
शिमला: हिमाचल की कुछ पंचायतें सालों से बजट होने के बाद भी पैसा खर्च नहीं कर पाई हैं। 14वें वित्तायोग का करीब 500 करोड़ रुपए पंचायतों में बीते 4-5 सालों से बकाया बताया जा रहा है। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बकाया राशि को 3 महीने के भीतर खर्च करने के निर्देश दिए हैं। ऐसा न कर पाने की सूरत में पंचायतों को बजट सरैंडर करना होगा। बकाया राशि खर्च करने के लिए सरकार प्रदेशभर में विशेष अभियान चलाने के दावे कर रही है। इसके तहत प्रत्येक पंचायत में ग्रामसभाएं आयोजित करके मंजूर राशि का शैल्फ तैयार किया जाएगा।
सांसद व विधायक निधि का बजट भी लंबित
पंचायतों में वित्तायोग के अलावा सांसद व विधायक निधि का बजट भी लंबित पड़ा हुआ है। पंचायत प्रतिनिधियों और सचिव की लापरवाही से पंचायतों में जो ढांचागत सुविधाएं मिलनी थीं वो नहीं मिल पा रही हैं। इससे पंचायत स्तर पर विकास कार्य को गति नहीं मिल पा रही है। हालांकि इसमें से कुछ बजट विभिन्न स्तर पर क्लीयरैंस न मिलने की वजह से लटका हुआ है जबकि ज्यादातर मामलों में पंचायतों की लापरवाही से भी बजट खर्च नहीं हो पा रहा है। बता दें कि प्रदेश में 3,226 पंचायतें हैं।
केंद्र ने मंजूर किए 180 करोड़
प्रदेश के लिए अच्छी बात यह है कि 14वें वित्त आयोग के तहत केंद्र ने 180 करोड़ रुपए मंजूर कर लिए हंै। इसके तहत पंचायतों में विकास का मॉडल तय किया जाएगा। पंचायतों में आधारभूत सुविधाएं जुटाकर ग्रामीणों को ढांचागत सुविधाएं दी जाएंगी ताकि ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों को प्लायन रोका जा सके। इस राशि को खर्च करने के लिए भी शैल्फ तैयार किया जाएगा।