मरीजों में हाहाकार और एम्स के डॉक्टर बिठाए बेकार, मुफ्त का वेतन दे रही सरकार: राजेंद्र राणा

Edited By prashant sharma, Updated: 25 Apr, 2021 04:12 PM

outcry among patients and doctors of aiims made government useless

जानपुर के विधायक व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष राजेंद्र राणा ने कोविड-19 महामारी के दौरान प्रदेश में प्रशासनिक व स्वास्थ्य तंत्र बुरी तरह विफल हो जाने से मरीजों में मची हाहाकार को लेकर सरकार पर निशाना साधा है।

हमीरपुर : सुजानपुर के विधायक व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष राजेंद्र राणा ने कोविड-19 महामारी के दौरान प्रदेश में प्रशासनिक व स्वास्थ्य तंत्र बुरी तरह विफल हो जाने से मरीजों में मची हाहाकार को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। आज यहां जारी एक बयान में उन्होंने कहा है कि प्रदेश में इस महामारी की स्थिति लगातार बद से बदतर होती जा रही है और व्यवस्थाएं हांफ रही हैं। प्रदेश के चिकित्सा संस्थान डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं और दिन-रात डॉक्टर मरीजों को संभालने में जुटे हैं लेकिन दूसरी तरफ केंद्र व प्रदेश सरकार बिलासपुर के जिस एम्स अस्पताल का राग अलापते नहीं थकती, वहां के चिकित्सकों को सरकारी खजाने से वेतन देकर सरकार ने निठल्ले बिठा रखा है और ये चिकित्सक घर बैठे सरकारी खजाने से वेतन ले रहे हैं लेकिन सरकार उनकी सेवाएं मरीजों के लिए नहीं ले रही। उन्होंने कहा कि सरकार को प्रदेश की जनता को यह बताना चाहिए कि इस अस्पताल के चिकित्सकों की सेवाएं सरकार किस काम के लिए ले रही है और उन्हें वेतन किस काम के लिए दिया जा रहा है। 

राणा ने कहा कि देश 1 साल से अधिक समय से इस महामारी से जूझ रहा है लेकिन केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकारें स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने की बजाय वोट की राजनीति खेलने और खुद अपनी पीठ थपथपाने में मस्त रही हैं। उन्होंने कहा ऐसा लगता है कि डबल इंजन का ही आपस में कोई तालमेल नहीं है और ना ही संकट की इस घड़ी में केंद्र सरकार प्रदेश को उदारता से आर्थिक मदद दे रही है। उन्होंने कहा अगर केंद्र प्रदेश को उदारता से फंड देता तो प्रदेश सरकार को सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों की जेब पर कैंची चलाने नहीं पड़ती। उन्होंने कहा सरकार के निकम्मेपन से कोरोना के हालात बेकाबू हो रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों को बेड नहीं मिल रहे। सांप गुजर जाने के बाद सरकार लकीर पीट रही है और सरकार द्वारा आए दिन नए-नए आदेश जारी करने से छोटे दुकानदारों, ढाबा चालको, टैक्सी वालों सहित गरीब व दिहाड़ीदार व्यक्ति की रोजी-रोटी पर संकट आ खड़ा हुआ है। उनका सरकार को इस बात का हिसाब देना चाहिए कि इस महामारी के दौरान पहले भी कर्मचारियों का जो वेतन काटा गया था और प्रदेश में जो फंड इकट्ठा किया गया था, उसका कहां सदुपयोग हुआ। उससे स्वास्थ्य तंत्र मजबूत क्यों नहीं किया गया।
 

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