खुले में शौच से मुक्ति का सरकारी दावा खोखला, 170 गांव के लोग 20 साल से झेल रहे समस्या

Edited By Ekta, Updated: 11 Jun, 2018 03:15 PM

open freedom from defecation of government claim hollow

एक तरफ तो मोदी सरकार खुले में शौच मुक्त करने के दावे कर रही है लेकिन दूसरी ओर लोगों को खुले में शौच करना पड़ रहा है। अगर गांव में ऐसा होता तो मान भी लेते कि यहां के लोग इतने जागरूक नहीं होते लेकिन अगर कस्बे में ऐसा हो रहा है तो किसका कसूर माना...

शिलाई: एक तरफ तो मोदी सरकार खुले में शौच मुक्त करने के दावे कर रही है लेकिन दूसरी ओर लोगों को खुले में शौच करना पड़ रहा है। अगर गांव में ऐसा होता तो मान भी लेते कि यहां के लोग इतने जागरूक नहीं होते लेकिन अगर कस्बे में ऐसा हो रहा है तो किसका कसूर माना जाएगा। सरकार भले ही खुले में शौच से मुक्ति के लिए अभियान चला रही है। लेकिन एशिया की फेमस चूना पत्थर मंडी सतोन के बस स्टैंड के शौचालय इतने खराब हैं कि बयां नहीं कर सकते। आलम यह है कि यहां पर दूरदराज क्षेत्र के लगभग 170 गांव के लोगों का आना-जाना लगा रहता है। शौचालय की दशा सही ढंग से ना होने पर लोगों को मजबूरन खुले में शौच करना पड़ रहा है। 
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स्थानीय युवाओं ने अब कमर कस ली है। पिछले 20 साल से यह समस्या झेल रहे हैं। यहां पर जो भी यात्री बस में आते हैं। हर बार ताने सुन रहे हैं। युवाओं ने सरकार से जोरदार आग्रह किया है। इस शौचालय के निर्माण के लिए जो भी कमी है उसे जल्द से जल्द पूरा करें, नहीं तो 10 दिन के अंदर सभी युवा धरना-प्रदर्शन शुरू कर देंगे। सतोन के स्थानीय का कहना है कि यहां के बस स्टैंड का शौचालय सरकार ने बना तो दिया था पर उसकी मरम्मत कराना भूल गए। जिस कारण जहां की दशा को देखकर ऐसा लग रहा है कि सरकार या स्थानीय पंचायत विकास के नाम पर ढोंग कर रही है। बता दें यहां न तो टॉयलेट के दरवाजे लगे हैं न ही पानी की कोई सुविधा है। सतौन पंचायत के जनप्रतिनिधियों के प्रयासों के बावजूद प्रशासन के असहयोग के कारण लटक रहा सतौन बस स्टैंड टाॅयलेट निर्माण का कार्य सरकार से त्वरित हस्तक्षेप की अपील। 
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केन्द्रीय सरकार द्वारा फोरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 के सेक्शन-2 के अनुसार हर राज्य सरकार को बस स्टैंड के समीप एक हेक्टेयर तक ही जमीन कम्युनिटी टॉयलेट्स बनाने के लिए पंचायत को देने के आदेश है। अगर सरकार ऐसे अधिकारियों पर कोई कार्रवाई करें तो 170 गांव के लोगों का समस्या का समाधान हो सकता है। पिछले 4 साल से इस समस्या के लिए वह मेहनत कर रहे हैं व दौरे में आए जयराम ठाकुर को भी ज्ञापन दिया था। इसके अलावा उपायुक्त सिरमौर व अन्य अधिकारियों को कई बार ज्ञापन दे चुके हैं पर इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। भूमि की कमी के कारण यह काम रुका हुआ है और डीएफओ रेणुका भूमि देने के लिए आनाकानी कर रहा है। 

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