Edited By Jinesh Kumar, Updated: 25 Sep, 2018 06:16 PM
बचपन में मेरा मन पढ़ाई से ज्यादा खेल में लगता था। टयूशन के लिए जाने के लिए वह पहले ही घर से चली जाती थी तथा दौड़ लगाने के लिए टयूशन भी मिस कर देती थी। एक दिन के अभ्यास से सफलता नहीं मिलती है बल्कि सफलता प्राप्त करने के लिए नियमित रुप से अभ्यास करना...
धर्मशाला : बचपन में मेरा मन पढ़ाई से ज्यादा खेल में लगता था। टयूशन के लिए जाने के लिए मैं पहले ही घर से चली जाती थी तथा दौड़ लगाने के लिए टयूशन भी मिस कर देती थी। एक दिन के अभ्यास से सफलता नहीं मिलती है बल्कि सफलता प्राप्त करने के लिए नियमित रुप से अभ्यास करना पड़ता है। उक्त शब्द धर्मशाला में प्रैस वार्ता के दौरान एशियन गेम्ज 2018 में रजत पदक विजेता धाविका सुधा सिंह ने कहे। धाविका सुधा सिंह 2 दिन के धर्मशाला भ्रमण पर हैं। सुधा के अनुसार अघंजर महादेव मंदिर में मांगी गई मन्नत पूरी होने पर मंदिर में शीश नवाने के लिए वह धर्मशाला पहुंची हैं। उत्तरप्रदेश की रायबरेली की रहने वाली 32 वर्षीय धाविका सुधा सिंह ने कहा कि वह धर्मशाला में भी प्रेक्टिस कर चुकी हैं तथा इसके बाद अन्यत्र प्रेक्टिस के लिए गई थी। धर्मशाला स्थित सिंथेटिक ट्रैक उच्च ऊंचाई पर है ऐसे स्थान पर प्रेक्टिस के परिणाम सार्थक रहते हैं।
धर्मशाला का सिंथेटिक ट्रैक भारत का बेहतरीन ट्रैक
सुधा ने कहा कि धर्मशाला का सिंथेटिक ट्रैक भारत का बेहतरीन ट्रैक है, इससे पहले वह ऊटी में प्रेक्टिस करती थी। उन्होंने कहा कि बेहतर प्रदर्शन प्राप्त करने के लिए प्रेक्टिस के लिए स्थान बदलने पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि कई लोग उनसे कहते थे कि अब आपकी उम्र पदक जीतने की नहीं रही, ऐसे ही अड़चनों ने उन्हें प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि कई कोच ने तो उन्हें कोचिंग देने से भी इंकार कर दिया लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और कई अड़चनों के बावजूद मैं प्रेक्टिस करती रही और परिणाम आपके सामने है। उन्होंने कहा कि अब उनका फोक्स आगामी वर्ष होने वाली एशियन चैंपियनशिप और वर्ल्ड चैंपियनशिप पर हैं जिसका कैंप बैंगलोर में लगना प्रस्तावित है।