Edited By kirti, Updated: 10 Jul, 2018 02:59 PM
जिला की करीब 2000 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाने वाले औषधीय गुणों से भरपूर रखाल प्रजाति के पेड़ लुप्त होने की कगार पर हैं। जंगलों में रखाल प्रजाति के पेड़ कहीं पर तोष, रई और खरशू प्रजाति के पेड़ों के साथ पाए जाते हैं तो कहीं पर खाली जगहों पर होते हैं।...
कुल्लू : जिला की करीब 2000 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाने वाले औषधीय गुणों से भरपूर रखाल प्रजाति के पेड़ लुप्त होने की कगार पर हैं। जंगलों में रखाल प्रजाति के पेड़ कहीं पर तोष, रई और खरशू प्रजाति के पेड़ों के साथ पाए जाते हैं तो कहीं पर खाली जगहों पर होते हैं। औषधीय गुणों के कारण वन तस्करों की नजरें इन बेश कीमती पौधों पर पड़ गई हैं। वन तस्कर इन पेड़ों की छाल निकाल कर चांदी कूट रहे हैं, ऐसे में रखाल प्रजाति के पेड़ सूखने लगे हैं। घाटी के जंगलों में करीब 3 दशक पूर्व रखाल के पेड़ हरे-भरे दिखाई देते थे, लेकिन वर्तमान में अब दर्जनों की संख्या में सूखे पेड़ ही नजर आते हैं।
जड़ी-बूटी विशेषज्ञों की मानें तो रखाल के पेड़ों की छाल औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। इसकी छाल की चाय का सेवन करने से पेट के रोग और कैंसर जैसी भयानक बीमारी से रोकथाम हो जाती है। इसके अलावा गले के विकार में भी यह बूटी अति महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञ बताते हैं अवैज्ञानिक दोहन से रखाल के पेड़ों का वजूद खतरे में पड़ गया है। घाटी के जंगलों में लगातार दर्जनों की संख्या में सूख रहे रखाल के पेड़ों को लेकर पर्यावरण प्रेमियों ने गहरी चिंता जताई है।