Edited By kirti, Updated: 09 Mar, 2019 02:18 PM
मंडी में जारी अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में इस बार काफी कुछ बदलाव हुआ है। बदलाव में एक ऐसी पुरानी परंपरा को बहाल किया गया है जिसका हर कोई स्वागत कर रहा है। मंडी के राजा माने जाने वाले राज माधव राय की पालकी को अब कुलियों द्वारा नहीं बल्कि देव...
मंडी(नीरज) :मंडी में जारी अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में इस बार काफी कुछ बदलाव हुआ है। बदलाव में एक ऐसी पुरानी परंपरा को बहाल किया गया है जिसका हर कोई स्वागत कर रहा है। मंडी के राजा माने जाने वाले राज माधव राय की पालकी को अब कुलियों द्वारा नहीं बल्कि देव समाज से जुड़े लोगों द्वारा उठाया जाएंगा। जब राजाओं के राज थे तो उस वक्त राज माधव राय की पालकी को राय परिवार के सदस्य उठाया करते थे।
जब भी शिवरात्रि महोत्सव में राज माधव राय की पालकी ले जाने की बात होती थी तो इसी परिवार के सदस्य पालकी उठाकर ले जाते और वापिस लाते थे। लेकिन राजाओं के राज समाप्त होने के बाद बागड़ोर प्रशासन के हाथ में आई और प्रशासन ने पालकी उठाने के लिए कुलियों को सहारा लेना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे दौर आगे बढ़ता गया और इस तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। वर्षों बीतने के बाद अब इस पर ध्यान दिया गया और सर्व देवता समिति एवं कारदार संघ ने निर्णय लिया कि राज माधव राय की पालकी को उठाने के लिए कुली की स्थान पर देवलुओं और कारदारों का सहारा लिया जाएगा। सर्व देवता समिति एवं कारदार संघ के अध्यक्ष शिवपाल शर्मा ने बताया कि वर्षों पुरानी पंरपरा को इस बार के महोत्सव से बहाल कर दिया गया है और अब पालकी उठाने के लिए कुली नहीं लिए जाएंगे।
शिवरात्रि महोत्सव में तीन शोभायात्राएं निकलती हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में जलेब कहा जाता है। इन सभी शोभायात्राओं की अगुवाई राज माधव राय ही करते हैं। जब राज माधव राय की पालकी और उनकी कुर्सी मंदिर परिसर से बाहर निकलती है तभी शोभायात्रा का आगाज होता है। देवता समिति एवं कारदार संघ ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है कि पालकी को उठाने वाले नंगे पांव चलेंगे और किसी प्रकार से जुतों का इस्तेमाल नहीं करेंगे। पालकी उठाने के लिए चार और कुर्सी उठाने के लिए एक व्यक्ति का सहारा लिया जाता है। राज माधव राय भगवान श्रीकृष्ण का रूप माने गए हैं।
17वीं सदी के दौरान मंडी रियासत के राजा सूरज सेन के सभी 18 पुत्रों की मौत हो गई और उन्होंने अपना राजपाठ भगवान श्रीकृष्ण के रूप यानी राज माधव राय के नाम कर दिया और खुद सेवक बन गए। तब से इन्हें मंडी रियासत का राजा माना गया। जब भी इस महोत्सव की शुरूआत होती है तो सीएम सबसे पहले राज माधव राय की पूजा करते हैं और उपरांत इनकी पालकी को शोभायात्रा में सबसे आगे चलाया जाता है। शिवरात्रि महोत्सव में आने वाले सभी देवी- देवता पहले राज माधव राय मंदिर में आकर हाजरी देते है। और उसके बाद शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होते है।