कब्जों से सिकुड़ता ऐतिहासिक ढालपुर मैदान, प्रशासन खामोश

Edited By Ekta, Updated: 02 Aug, 2018 12:15 PM

occupation the shrinking historical dhalpur ground

अठारह करड़ू री सौह के नाम से विख्यात ऐतिहासिक ढालपुर मैदान की दुर्दशा पर प्रशासन खामोश है। अवैध कब्जों के कारण ढालपुर मैदान सिकुड़ रहा है। अवैध कब्जों को हटाने के लिए अभियान भी चला लेकिन उसे लोग नाकाफी मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि ढालपुर मैदान...

कुल्लू (धनीराम): अठारह करड़ू री सौह के नाम से विख्यात ऐतिहासिक ढालपुर मैदान की दुर्दशा पर प्रशासन खामोश है। अवैध कब्जों के कारण ढालपुर मैदान सिकुड़ रहा है। अवैध कब्जों को हटाने के लिए अभियान भी चला लेकिन उसे लोग नाकाफी मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि ढालपुर मैदान अवैध कब्जों की वजह से सिकुड़ रहा है। सरकारी भवन भी ढालपुर मैदान में ऐसे स्थानों पर बनाए जा रहे हैं जहां नहीं बनने चाहिए थे। ऊपर से कई अवैध दुकानों व भवनों के आगे के हिस्से मैदान की ओर बढ़े होने के कारण मैदान अवैध कब्जों की जद में है। इससे आने वाले समय में दशहरा उत्सव भी संकट में पड़ जाने के आसार हैं। 


खतरे में मैदान का अस्तित्व
मौजूदा दौर में ढालपुर मैदान अपने वास्तविक रूप से काफी सिकुड़ गया है। अवैध कब्जों का क्रम बदस्तूर जारी रहा तो मैदान का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। 


टैंक बनाना गलत
कुल्लू शहर निवासी प्रेम चंद, नरेंद्र ठाकुर, देव राज, कुर्मदत्त, सुरेंद्र ठाकुर, आलोक शर्मा, विनय ठाकुर, गौरव शर्मा और सुशील शर्मा ने कहा कि आई.पी.एच. विभाग ने भी हाल ही में ढालपुर में लाल चंद प्रार्थी कलाकेंद्र के पास वाटर स्टोरेज टैंक बनाया है। इस टैंक को शहर से काफी पीछे जंगल में भी बनाया जा सकता था। इसके अलावा ढालपुर मैदान के इर्दगिर्द भी कई अवैध कब्जे हो रहे हैं। इन पर रोक लगनी चाहिए। यदि समय रहते अवैध कब्जों के क्रम को न रोका गया तो ढालपुर मैदान का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा और आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का आयोजन भी संकट में पड़ सकता है। इन लोगों ने कहा कि सिकुड़ते ढालपुर मैदान को लेकर खामोशी महंगी पड़ सकती है। 

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