Edited By Vijay, Updated: 01 May, 2018 09:01 PM
हाईकोर्ट में नूरपुर स्कूल बस हादसे पर लिए संज्ञान वाले मामले में सुनवाई 15 मई के लिए टल गई। कोर्ट ने सरकार को पिछले आदेशानुसार शपथ पत्र दायर करने के लिए 2 सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया।
शिमला: हाईकोर्ट में नूरपुर स्कूल बस हादसे पर लिए संज्ञान वाले मामले में सुनवाई 15 मई के लिए टल गई। कोर्ट ने सरकार को पिछले आदेशानुसार शपथ पत्र दायर करने के लिए 2 सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया। कोर्ट ने सरकार से शपथ पत्र के माध्यम से यह स्पष्टीकरण देने को कहा है कि प्रदेश के सभी निजी शिक्षण संस्थानों में बच्चों को घरों से स्कूलों तक लाने व ले जाने के लिए इस्तेमाल होने वाली व्यवस्था पर निगरानी रखने के लिए कोई प्रणाली सरकार ने बना रखी है या नहीं। कोर्ट ने पूछा है कि स्कूलों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली बसों की निगरानी के लिए स्थानीय प्रशासन ने क्या तरीका निकाला हुआ है। यदि कोई तरीका नहीं है तो क्यों नहीं है और यदि कोई तरीका है तो किस तरह बसों की निगरानी की जाती है।
क्या था बस का मॉडल और तकनीकी स्थिति
कोर्ट ने नूरपुर हादसे से जुड़ी बस की जानकारी मांगते हुए पूछा है कि उस बस की तकनीकी स्थिति क्या थी व किस वर्ष के मॉडल की बस थी। कौन ड्राइवर उसे चला रहा था व उसकी उम्र क्या थी। ड्राइवर की मैडीकल स्थिति बताने के आदेश भी दिए गए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने सरकार को केवल इन्हीं मुद्दों पर अपना स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए। कोर्ट ने इस मामले में पूर्व महाधिवक्ता श्रवण डोगरा को एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया है व उनसे सुझाव देने को कहा है कि ऐसे दर्दनाक हादसे फिर कभी न हों।
स्कूलों की ट्रांसपोर्टेशन सुविधा को लेकर कोई प्रावधान नहीं
स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा दायर शपथ पत्र में बताया गया कि बोर्ड के निजी शिक्षण संस्थानों की एफिलिएशन से जुड़े नियमों के तहत इन स्कूलों की ट्रांसपोर्टेशन सुविधा को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सभी स्कूलों को बच्चों के यातायात को लेकर जरूरी एडवाइजरी जारी की है। मामले पर सुनवाई 15 मई को होगी।