नूरपुर बस हादसा : न्याय के लिए हाईकोर्ट पहुंचे अभिभावक

Edited By Vijay, Updated: 31 May, 2018 11:32 PM

nurpur bus incident parents reached at high court for justice

कभी न भरने वाले जख्म देने वाले नूरपुर बस हादसे में मारे गए बच्चों के अभिभावकों ने अब न्याय के लिए उच्च न्यायालय से गुहार लगाई है।

शिमला: कभी न भरने वाले जख्म देने वाले नूरपुर बस हादसे में मारे गए बच्चों के अभिभावकों ने अब न्याय के लिए उच्च न्यायालय से गुहार लगाई है। नूरपुर थाना के तहत गुरचाल पंचायत के मलकवाल-ठेहड़ सड़क मार्ग पर 8 अप्रैल को जो निजी स्कूल बस हादसे का शिकार हुई थी, अभिभावकों ने उस बस हादसे की रिपोर्ट पर भी सवालिया निशान उठाए हैं। हाईकोर्ट पहुंचे बच्चों के अभिभावक विक्रम सिंह और नरेश सिंह का आरोप है कि प्रशासन के अधिकारियों ने इस हादसे की असली वजह को छुपाने का प्रयास किया है। उन्होंने आरोप लगाए हैं कि स्कूल में चलाई जा रही यह बस पुरानी थी और इसके लिए अधिकारियों ने जांच के दौरान असली तथ्यों को छुपाने का प्रयास किया है।


जांच अधिकारियों ने दबाव में आकर नहीं दी सहीं रिपोर्ट
अभिभावकों का आरोप है कि जिस स्थान पर बस गिरी थी, उस स्थान पर 3 माह पहले डंगा गिरा था, जिसे लोक निर्माण विभाग ने नहीं लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जांच अधिकारियों ने दबाव में आकर इस सड़क हादसे की सही रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की। इसके साथ ही उन्होंने जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह हादसा मानव त्रुटि से हुआ है जबकि मात्र 200 मीटर की दूरी से बस चालक ने एक युवती व छात्रा को लिफ्ट दी थी, ऐसे में बस चलाते समय 200 मीटर की दूरी पर ही कैसे नींद आ सकती है। इसके अलावा उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह सड़क मार्ग पूरी तरह से उखड़ चुका था, जिसकी समय पर टारिंग होती तो यह हादसा नहीं होता।


बस के क्षतिग्रस्त ट्रक से टकराने से गई अधिक बच्चों की जान
खवाड़ा गांव के विक्रम सिंह ने कहा कि इस हादसे में 23 बच्चों की मौत हुई थी, जिनमें उसकी बेटी ईशिता पठानिया व उसके भाई काबेटा हर्ष पठानिया भी शामिल था। एक अन्य अभिभावक नरेश सिंह ने कहा कि इस हादसे में उसके बेटे नैतिम और बेटी दीक्षा की जान चली गई और साथ ही उसके भाई राजेश की बेटी पलक और बेटा भविष्य भी इस हादसे का शिकार हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि जहां बस गिरी वहां पर पहले से एक क्षतिग्रस्त ट्रक गिरा था, जिससे बस टकराई और यहां अधिक बच्चों की जानें चली गईं।


364 लोगों की साइन की हुई कॉपी नहीं पहुंची हाईकोर्ट
अभिभावकों का यह भी आरोप है कि एक ही गांव के 2 दर्जन के करीब बच्चे मारे गए और ऐसे में क्षेत्र के 364 लोगों की साइन की हुई कॉपी उन्होंने एस.डी.एम. के माध्यम से उच्च न्यायालय और प्रधानमंत्री को सी.बी.आई. की मांग के लिए भेजी थी लेकिन 2 मई को जब यह कॉपी एस.डी.एम. को सौंपी गई तो उसके बाद आज तक न तो यह कॉपी उच्च न्यायालय पहुंची और न ही प्रधानमंत्री कार्यालय, ऐसे में अब तक यह कॉपी कहां है, इसका कोई पता नहीं है।


पहले कोट पलाड़ी वाया हटली रूट पर चलती थी बस
अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि जब उन्होंने बस के  बारे में जांच पड़ताल की तो पता चला कि यह बस पहले कोट पलाड़ी वाया हटली रूट पर चलती थी और यह बस बहुत पुरानी थी लेकिन स्कूल प्रबंधन ने इस बस को बच्चों के आने-जाने के लिए लगाया।

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