अब Landslide से पहले मिलेगी चेतावनी, IIT मंडी ने विकसित किया ये डिवाइस

Edited By Vijay, Updated: 09 Feb, 2022 08:10 PM

now will get warning before landslide

आईआईटी मंडी द्वारा विकसित किया गया लैंडस्लाइड मॉनीटरिंग एंड अर्ली वार्निग सिस्टम डिवाइस भूस्खलन होने से पहले चेतावनी देकर लोगों को सतर्क कर देगा। मंडी जिले में भूस्खलन होने का पता लगाने के लिए जिला प्रशासन चयनित स्थानों पर भूस्खलन निगरानी एवं पूर्व...

आईआईटी व डीडीएमए मंडी के बीच साइन हुआ एमओयू
मंडी (रजनीश):
आईआईटी मंडी द्वारा विकसित किया गया लैंडस्लाइड मॉनीटरिंग एंड अर्ली वार्निग सिस्टम डिवाइस भूस्खलन होने से पहले चेतावनी देकर लोगों को सतर्क कर देगा। मंडी जिले में भूस्खलन होने का पता लगाने के लिए जिला प्रशासन चयनित स्थानों पर भूस्खलन निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली लगाएगा। इस प्रणाली को लगाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी व जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) मंडी के मध्य समझौता ज्ञापन (एमओयू) हुआ है। इस एमओयू पर आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा और डीसी एवं डीडीएमए मंडी अरिंदम चौधरी ने हस्ताक्षर किए।  इस अवसर पर एडीएम मंडी राजीव कुमार, एडीसी जतिन लाल व जिला संसाधन अधिकारी राजीव कुमार उपस्थित रहे। एमओयू हस्ताक्षर के दौरान मंडी के डीसी ने आईआईटी से प्रणालियों को चोरी या शरारती तत्वों से बचाने के लिए समाधान देने का अनुरोध किया। इसके अलावा डीसी ने आईआईटी से मकई जैसे अनाज के लिए कम लागत की प्रोसैसिंग यूनिट विकसित करने का आग्रह किया। आईआईटी मंडी के निदेशक ने हिमाचल प्रदेश के छोटे गांवों में परिवहन के लिए कम लागत के और इम्प्रोवाइज्ड रोप-वे सांझा करने का सुझाव दिया। 

एडीएम मंडी राजीव कुमार ने सहमति करार के दौरान पूरी तरह सुरक्षित निकासी प्रणाली की आवश्यकता पर जोर और यह सुझाव दिया कि भविष्य में इस प्रणाली के लिए चेतावनी सीमा 1.5 से 2 घंटे तक बढ़ाई जाए ताकि समय से लोगों की सुरक्षित निकासी आसान हो सके। बता दें कि इससे पूर्व आईआईटी मंडी और कांगड़ा जिला प्रशासन के मध्य एमओयू हुआ है जिसके तहत 10 भूस्खलन निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली (ईडब्ल्यूएस) विकसित और स्थापित की जाएगी। साइटों के दौरे के बाद उनके विश्लेषण के आधार पर यह प्रणाली लगाई जाएगी। इसके लिए इनएसएआर आधारित विश्लेषण किया जाएगा।

मिट्टी की गतिविधि में परिवर्तन के आधार पर मिलेगी चेतावनी

आईआईटी मंडी द्वारा विकसित भूस्खलन निगरानी प्रणाली मिट्टी की गतिविधि में परिवर्तन के आधार पर हूटर और ब्लिंकर (सड़क किनारे लगे) से चेतावनी देती है और इससे टैक्स्ट मैसेज भी भेजे जाते हैं। यह सिस्टम 5 मिलीमीटर से अधिक बारिश का पूर्वानुमान होने पर वर्षा की चेतावनी भी जारी करता है। वर्तमान में भूस्खलन की चेतावनी इससे 10 मिनट पूर्व दी जाती है। मिट्टी की गतिविधि में परिवर्तन के आधार पर यह चेतावनी दी जाती है। 

वरुण और केवी उदय ने तैयार किया है सिस्टम

आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ कम्प्यूटिंग एंड इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रो. डाॅ. वरुण दत्त और स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग आईआईटी मंडी के सहायक प्रो. डाॅ. केवी उदय ने लैंडस्लाइड मॉनीटरिंग एंड अर्ली वार्निंग सिस्टम डिवाइस को विकसित किया है। 

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