अब सेलिब्रिटी बढ़ाएंगे हिमाचल के सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या

Edited By Ekta, Updated: 07 Oct, 2018 05:14 PM

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प्रदेश के सरकारी स्कूलों में घटती बच्चों की संख्या को बढ़ाने के लिए सरकार ने एक अनूठी योजना बनाई है। जिसका नाम है ''अखंड शिक्षा ज्योति, मेरे स्कूल से निकले मोती'' है। योजना का शुभारम्भ 8 अक्टूबर को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी के सिराज विधानसभा...

शिमला (योगराज): प्रदेश के सरकारी स्कूलों में घटती बच्चों की संख्या को बढ़ाने के लिए सरकार ने एक अनूठी योजना बनाई है। जिसका नाम है 'अखंड शिक्षा ज्योति, मेरे स्कूल से निकले मोती' है। योजना का शुभारम्भ 8 अक्टूबर को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी के सिराज विधानसभा क्षेत्र में चल रहे बगस्याड़ स्कूल से करेंगे, जहां से मुख्यमंत्री ने खुद शिक्षा प्राप्त की है। पिछले कुछ वर्षो से प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी के कारण शिक्षा की गुणवता घटी है जिसके कारण अभिवावक ने निजी स्कूलो का रुख किया है। योजना का मकसद सरकारी स्कूलों के प्रति अभिभावकों का विश्वास को कायम रखना है। यही नहीं सरकार नेशनल कंपनियों में कार्यरत हिमाचल के सरकारी स्कूलों में पढ़ी हस्तियों से भी सरकारी स्कूलों में सहयोग के लिए आग्रह करेगी।   
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हिमाचल के सरकारी स्कूलों की दशा किसी से छिपी नहीं है। साल दर साल सरकारी स्कूलों में बच्चों का एनरोलमेंट कम होता जा रहा है। जिसकी वजह है शिक्षकों की कमी और शिक्षा की गुणवता। जयराम सरकार स्कूलो में एनरोलमेंट बढ़ाने के लिए इस योजना शुरू कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि योजना के अंतर्गत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से उन शख्सियतों और सफल व्यक्तियों से परिचय करवाया जाएगा  है, जो उस पाठशाला में पढ़ के एक अच्छे मुकाम पर पहुंचे हैं ताकि बच्चे भी उनसे प्रेरित होकर सरकारी स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए आएं। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा है कि पिछले वर्ष दिल्ली में हुए कैब यानि सेंटर एड्वाजरी बोर्ड ओन एजुकेशन की मीटिंग में ये योजना सामने आई थी कि देश के कई बड़े-बड़े उद्योगपति और सेलिब्रिटी अपने स्कूलों से जुड़े होते हैं और उन स्कूलों को चलाने के लिए सहयोग करते हैं। 

इसलिए प्रदेश सरकार ने भी 'अखंड शिक्षा ज्योति, मेरे स्कूल से निकले मोती' नाम से योजना शुरू करने का फैसला लिया, जिससे प्रदेश के सरकारी स्कूलों से निकली हस्तियां भी अपने स्कूलों को चलाने के सहयोग कर सके। प्रदेश के विधानसभा में पहुंचे सभी विधायक भी सरकारी स्कूलों से पढ़े हैं। इसलिए सरकार ने सभी विधायकों से कहा है कि वे भी अपने अपने विधानसभा क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में जाकर बच्चों और अभिभावकों को सरकारी स्कूलों में बच्चे पढ़ाने के लिए प्रेरित करें, जहां से उन्होंने खुद शिक्षा ग्रहण की है। भारद्वाज का मानना है सेलिब्रिटी के स्कुल में आने से बच्चो को ये भावना पैदा होगी जब सरकारी स्कुल से पढ़ा हुआ बच्चा प्रदेश का मुख्यमंत्री बन सकता तो वे भी सरकारी स्कुल में पढ़ कर अच्छा मुकाम हासिल कर सकते है। योजना का अध्ययन राष्ट्रिय स्तर पर भी किया जा रहा है अगर योजना सफल होती है तो प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में नया आयाम स्थापित करेगा। 

सरकारी स्कूलों में कम होती विद्यार्थियों की संख्या के पीछे शिक्षकों की कमी भी सामने आ रही है। पिछले चार साल में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 1 लाख 17 हजार 554 लाख विद्यार्थियों कम हुए हैं। 2013-14 में सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या 10,07,196 थी। 2014-15 में घटकर 9,59,147 रह गई। शैक्षणिक सत्र-2017 तक यह संख्या घटकर 8,89,642 रह गई है। प्रदेश में 15,327 सरकारी स्कूल हैं। इन स्कूलों में 10,710 प्राइमरी व 2130 मिडल स्कूल हैं। सीनियर सैकेंडरी स्कूलों की संख्या 2487 है। अब देखना ये होगा कि जयराम सरकार की 'अखंड शिक्षा ज्योति, मेरे स्कूल से निकले मोती' योजना सरकारी स्कुलो में कितनी एनरोलमेंट बढ़ा पाती है और प्रदेश के सरकारी स्कूलों की दशा ठीक कर पाती है।  

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