Edited By prashant sharma, Updated: 30 Sep, 2020 04:23 PM
कभी अपने चेहरे के हाव भाव बदलते हुए ये लोगों का मनोरंजन भी करते थे और अपनी संस्कृति के वाहक भी कहलाते थे। आज भी इनके चेहरे पर भाव आते हैं
हमीरपुर (अरविंदर) : कभी अपने चेहरे के हाव भाव बदलते हुए ये लोगों का मनोरंजन भी करते थे और अपनी संस्कृति के वाहक भी कहलाते थे। आज भी इनके चेहरे पर भाव आते हैं, परंतु अब वह भाव बदल गए हैं। अब चेहरे पर रोजी-रोटी की चिंता नजर आ रही है। प्रदेश के फोक कलाकार आजकल दो वक्त की रोटी की जुगाडत्र में नजर आ रहे हैं। लॉकडाउन के बाद जहां सरकार ने हर क्षेत्र को खोलने का कार्य शुरू कर दिया है, वहीं फोक मीडिया के करीब 700 कलाकार आज भी बेरोजगार हैं। इनकी बेरोजगारी का दंश अब इनके परिवार के करीब चार हजार लोग भी झेल रहे हैं। आलम यह है फोक मीडिया के कई कलाकारों को दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया है। इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश फोक मीडिया एसोसिएशन ने उपायुक्त हमीरपुर के माध्यम से प्रदेश सरकार को ज्ञापन भेजा है। इस अवसर पर इनके साथ उपाध्यक्ष सुनील कुमार, सचिव जीवन कुमार, विमला राठौर सहित अन्य उपस्थित रहे।
हिमाचल प्रदेश फोक मीडिया एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी निशांत गिल ने बताया कि कोरोना महामारी के बारे में इलेक्ट्रानिक मीडिया और प्रिंटिग मीडिया के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उसी तरह फोक मीडिया के कलाकारों के माध्यम से भी कोरोना महामारी जागरूकता अभियान चलाया जाए जिससे कि लोगों को कोरोना महामारी और सरकार की कल्याणकारी नीतियों के बारे में जागरूक किया जा सके। कई महीनों से बेरोजगार बैठे कलाकारों को रोजगार का अवसर भी प्राप्त हो और परिवारों की भी रोजी रोटी चल सके। उन्होने बताया कि मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में कहा है कि निदेशालय सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में हर दो साल बाद इन दलों की स्क्रीनिंग की जाती है, जबकि इतना रोजगार दो साल में नहीं मिल पाता जितना खर्चा एक स्क्रीनिंग पर होता है। अतरू इस स्क्रीनिंग को भी कम से कम पांच साल के लिए मान्य किया जाए।
मीडिया प्रभारी हिमाचल प्रदेश फोक मीडिया एसोसिएशन
गौरतलब है कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में इस समय लगभग 60 फोक मीडिया के दल हैं, जोकि निदेशालय सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में एक श्रेणी में हैं। पिछले कई सालों से यह दल प्रचार और प्रसार का कार्य कर रहे हैं। प्रचार चाहे सरकारी की उपलब्धियों का हो या फिर किसी अन्य विभागीय गतिविधि का इन कलकारों की भूमिका बेहतर रहती है, लेकिन इन दिनों लोगों को जागरूक करने वाले ये कलाकार अपने परिवार के पोषण तक में खुद को असमर्थ महसूस कर रहे हैं।