Edited By kirti, Updated: 10 Jul, 2018 02:25 PM
सेब बैल्ट के नाम से प्रसिद्ध कुल्लू घाटी में अनार ने दस्तक देनी शुरू कर दी है। कुल मिलाकर अनार के लिए कुल्लू की आबोहवा अनुकूल बताई जा रही है। वह भी ऐसे में जब बजौरा से लेकर बंदरोल तक रसीले सेब का वजूद खत्म हो गया है जिससे बागवान चिंतित हैं, ऐसे में...
कुल्लू : सेब बैल्ट के नाम से प्रसिद्ध कुल्लू घाटी में अनार ने दस्तक देनी शुरू कर दी है। कुल मिलाकर अनार के लिए कुल्लू की आबोहवा अनुकूल बताई जा रही है। वह भी ऐसे में जब बजौरा से लेकर बंदरोल तक रसीले सेब का वजूद खत्म हो गया है जिससे बागवान चिंतित हैं, ऐसे में अनार का पौधा खुशहाली और समृद्धि लेकर आया है।
जिला के निचले इलाकों में अनार सेब व अन्य फसलों का विकल्प बनता जा रहा है। यहां तक कि कई बागवान अपने पुराने सेब के बगीचों के स्थान पर सेब से अधिक अनार उगाने को अधिमान देने लगे हैं।
वर्तमान समय में कुल्लू में करीब 400 हैक्टेयर भूमि पर अनार अपनी रंगत बिखेरने की तैयारी में है। बागवान इसका विकल्प तेजी से ढूंढने में लगे हैं और अनार की खेती की ओर प्रतिवर्ष बागवानों का रुझान बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों की राय में अनार की खेती के लिए कुल्लू के साथ-साथ पारला भुंतर, हुरला, थरास, बजौरा, पनारसा व गड़सा घाटी की मिट्टी उपयुक्त है। समुंद्र तल से 1500 मीटर की ऊंचाई पर उगने वाले अनार की खेती के लिए 50 से 60 मिलीमीटर वर्षा पर्याप्त मानी जाती है।
भगवा किस्म फसल है कामयाब
कुल्लू की जलवायु में अनार की भगवा किस्म खूब फल रही है। घाटी के लोगों दीपू, अनिल वर्मा व राम लाल का कहना है कि अपनी भूमि पर अनार की खेती करना शुरू कर दी है। 10 लाख से अधिक के अनार बेचकर उनकी आॢथक स्थिति मजबूत हो रही है। वर्ष 2018 में 15 लाख के अनार बेचे हैं। अनार के पौधे करीब 4 वर्षों में फल देने लग जाते हैं और सेब की तुलना में बगीचे में स्थान कम घेरते हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 5 वर्षों में अनार की ओर बागवानों का रुझान बढ़ा है। सितम्बर के अंतिम व अक्तूबर के पहले सप्ताह में अनार की खेती तैयार होती है। जहां सेब मार्कीट के हिसाब से 10 से 30 रुपए तक बिकता है, वहीं अनार 70 से 100 रुपए तक बिकता है। इसका जूस हिमोग्लोबिन बढ़ाने में मददगार होता है। इसलिए जिन्हें खून की कमी होती है, उन्हें ज्यादातर अनार का जूस पिलाया जाता है।