अब सरकारी अध्यापक भी सरकारी स्कूलों में करवाने लगे अपने बच्चों की एडमिशन, पढ़ें क्यों?

Edited By kirti, Updated: 13 May, 2018 09:38 AM

now the government teachers get admission in their schools in government schools

बड़सर उपमंडल में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने भी अपने बच्चों को निजी स्कूलों की बजाय सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की एक मुहिम छेड़ी हुई है, ताकि अन्य अभिभावकों की सरकारी स्कूलों में होने बाली पढ़ाई को लेकर विश्वसनीयता कायम रहे तथा सरकारी अभियान को...

बड़सर : बड़सर उपमंडल में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने भी अपने बच्चों को निजी स्कूलों की बजाय सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की एक मुहिम छेड़ी हुई है, ताकि अन्य अभिभावकों की सरकारी स्कूलों में होने बाली पढ़ाई को लेकर विश्वसनीयता कायम रहे तथा सरकारी अभियान को अपना समर्थन दिया जा सके। वैसे भी निजी स्कूलों के रिजल्ट के मामले में पिछडऩे के उपरांत तथा सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों की अपेक्षा बेहतर रिजल्ट आने के कारण सरकारी स्कूलों में बच्चों के दाखिले में काफी बढ़ौतरी हो रही है। पिछले सत्र में भी कई शिक्षकों ने अपने बच्चों को निजी स्कूलों से हटाकर सरकारी स्कूलों में दाखिल करवाया था तथा सरकारी शिक्षकों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ाने की मुहिम में अब बिझड़ी खंड की राजकीय प्राथमिक स्कूल भोटा में 5 सरकारी शिक्षकों ने इस सत्र में अपने बच्चे दाखिल करवाए हैं।

बच्चे सरकारी स्कूलों का ही रुख कर रहे
रिटायर सी.एच.टी. प्रदीप दुग्गल की पुत्री यामिनी, रिटायर सी.एच.टी. रणवीर सिंह के पौत्र अंशुमन, रा.प्रा. पाठशाला दैण में कार्यरत एच.टी. इंदिरा देवी के पौत्र अखिल कुमार और कुल्लू में पी.जी.टी. के रूप में कार्यरत शशि कांत के पुत्र श्रन्य कांत सहित शिमला में तैनात टी.जी.टी. नॉन-मैडीकल राजेश कुमार ने अपनी पुत्री शगुन को यहां दाखिल करवाया है। इस तरह सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के बच्चे सरकारी स्कूलों का ही रुख कर रहे हैं, जिससे नामांकन में बढ़ौतरी हो रही है।

विशेष शिक्षा के लिए हुआ है स्कूल का चयन
सी.एच.टी. संदीप कुमार ने बताया कि इस स्कूल का चयन गत वर्ष और इस वर्ष भी खास शिक्षा में हुआ है, जिससे लोगों में स्कूल के प्रति विश्वास बढ़ा है और स्कूल स्टाफ इससे खासा उत्साहित है। सनद रहे कि इस समय बिझड़ी खंड के 100 से अधिक सरकारी प्राथमिक शिक्षकों के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में अध्ययन कर रहे या अध्ययन कर चुके हैं तथा इनमें नामांकन 10 प्रतिशत बढ़ा है। यह आंकड़ा 3200 से बढ़कर अब 3486 हो गया है, जिससे सरकारी स्कूलों में पढऩे वालों का बढ़ता हुआ रुझान देखा जा सकता है।

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