अब मनमानी फीस नहीं वसूल सकेंगे निजी स्कूल, एक्ट में होगा संशोधन

Edited By prashant sharma, Updated: 07 Feb, 2021 10:25 AM

now private schools will not be able to collect arbitrary fees

निजी स्कूलों की फीस अभिभावकों के लिए हमेशा से एक गंभीर मुद्दा रहा है। जिसका सामना कई बार प्रशासन और सरकार को भी करना पड़ता है। निजी स्कूलों की फीस को लेकर मचे घमासान के बीच हिमाचल प्रदेश सरकार ने फीस नियंत्रित करने के लिए वर्ष 1997 के एक्ट में बदलाव...

शिमला : निजी स्कूलों की फीस अभिभावकों के लिए हमेशा से एक गंभीर मुद्दा रहा है। जिसका सामना कई बार प्रशासन और सरकार को भी करना पड़ता है। निजी स्कूलों की फीस को लेकर मचे घमासान के बीच हिमाचल प्रदेश सरकार ने फीस नियंत्रित करने के लिए वर्ष 1997 के एक्ट में बदलाव करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में बीते दिन हुई कैबिनेट बैठक में इस संबंध में अनौपचारिक बातचीत हुई। इसके बाद कैबिनेट ने शिक्षा विभाग को एक्ट में बदलाव को मंजूरी भी दे दी है। विभागीय अधिकारियों ने सरकार से मंजूरी मिलते ही विधि विभाग को मामला भेज दिया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि बजट सत्र में संशोधन को मंजूरी दे दी जाएगी। हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान (नियामक) एक्ट 1997 में बदलाव करते हुए निजी स्कूलों के ऑडिट की व्यवस्था की जाएगी। 

चिह्नित दुकानों से ही किताबें और वर्दी की खरीद के लिए निजी स्कूल दबाव नहीं बना पाएंगे। एसएमसी या किसी अन्य कमेटी को फीस निर्धारण में शामिल करने की भी तैयारी है। वर्तमान एक्ट के तहत निजी स्कूलों की फीस तय करने के लिए कोई प्रावधान नहीं है। इसका फायदा उठाते हुए स्कूल हर साल मनमाने तरीके से फीस बढ़ाते हैं। निजी स्कूलों पर सरकार का भी सीधा नियंत्रण नहीं है। निजी शिक्षण संस्थान (नियामक) एक्ट 1997 लागू है, लेकिन इसमें फीस तय किए जाने का प्रावधान नहीं हैं। एक्ट में बदलाव होने के बाद निजी स्कूलों को फीस और फंड सहित शिक्षकों का ब्योरा सरकार को देना होगा। हालांकि फीस स्कूल खुद तय करेंगे, लेकिन फीस पर नियंत्रण रखने के लिए सरकार कोई फार्मूला तैयार करेगी। 

निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के दायरे में प्रदेश के सभी निजी कॉलेज और विश्वविद्यालय आते हैं। इन शिक्षण संस्थानों की फीस तय करने से लेकर इनके पाठ्यक्रम को आयोग हर साल मंजूरी देता है। इनके स्टाफ की समस्याओं को भी आयोग की अदालत में सुना जाता है। प्रदेश की सत्ता पर काबिज होते ही जयराम सरकार ने निजी स्कूलों की फीस नियंत्रण की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक मामला सिरे नहीं चढ़ा है। कोरोना संकट के दौरान तो यह समस्या और अधिक बढ़ गई है। बीते दिनों जिला मंडी में निजी स्कूलों की फीस को लेकर खूब हल्ला हुआ था। अभिभावकों ने मुख्यमंत्री के समक्ष भी यह मामला उठाया था। इसी कड़ी में अब यह कवायद शुरू हुई है। कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान की भी निजी स्कूल पूरी फीस वसूलने पर अड़े रहे। हालांकि सरकार ने सिर्फ ट्यूशन फीस ही लेने के आदेश ही दिए हैं।
 

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