अब रिज मैदान पर घुड़सवारी करने वालों की ढीली होगी जेब, MC वसूलेगा इतने फीसदी Tax

Edited By Vijay, Updated: 07 Feb, 2020 10:11 PM

now horseriders on the ridge field will loose pockets

राजधानी शिमला में ऐतिहासिक रिज मैदान पर घुड़सवारी करने वालों को अब अपनी जेबें और ढीली करनी होंगी। घुड़सवारी का शौक रखने वालों को पहले से ज्यादा पैसे घुड़सवारी के लिए देने होंगे। अब नगर निगम घोड़ा संचालन करने वालों से कर नहीं वसूल करेगा बल्कि अब...

शिमला (तिलक राज): राजधानी शिमला में ऐतिहासिक रिज मैदान पर घुड़सवारी करने वालों को अब अपनी जेबें और ढीली करनी होंगी। घुड़सवारी का शौक रखने वालों को पहले से ज्यादा पैसे घुड़सवारी के लिए देने होंगे। अब नगर निगम घोड़ा संचालन करने वालों से कर नहीं वसूल करेगा बल्कि अब घुड़सवारी करने वालों से ही 10 फीसदी अतिरिक्त राशि कर के रूप में ली जाएगी।
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अब तक घुड़सवारी के लिए 50 से लेकर 80 रुपए तक वसूले जा रहे थे, वहीं अब इसमें 10 फीसदी बढ़ौतरी की जा रही है। शुक्रवार को नगर निगम ने घोड़ा संचालकों के साथ बैठक की। बैठक में घोड़ा संचालकों से सालाना 500 रुपए शुल्क के रूप में लेने का फैसला लिया गया, जिस पर घोड़ा संचालकों ने भी सहमति जताई है। बता दें कि पूर्व में घोड़ा संचालक वर्ष में 120 रुपए पंजीकरण शुल्क देते थे, वहीं अब उन्हें 500 रुपए शुल्क देना होगा। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कर के रूप में जो 10 फीसदी राशि पहले घोड़ा संचालकों से ली जानी थी वह अब घोड़े की सवारी करने वालों से वसूली जाएगी।
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वहीं नगर निगम शिमला द्वारा पारित प्रस्ताव के तहत फैसला लिया गया है कि अब रिज मैदान पर घुड़सवारी के लिए नगर निगम द्वारा टिकट काऊंटर स्थापित किया जाएगा, जिसके तहत टिकट लेकर लोग घुड़सवारी का आनंद ले सकेंगे। घुड़सवारी करने वालों से जो अतिरिक्त राशि वसूल की जाएगी उसे रिज मैदान पर घोड़ों के कारण फैल रही गंदगी को साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इस कदम से घुड़सवारी के शौकीन लोग अब महंगी दरों पर ही अपना शौक पूरा कर सकते हैं। वहीं नगर निगम के इस फैसले को लेकर अब घोड़ा संचालक सन्तुष्ट हैं।
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नगर निगम की महापौर सत्या कौंडल ने बताया कि वर्ष 2014 से नगर निगम शिमला ने रिज पर स्थित घोड़ा संचालकों का कोई किराया नहीं बढ़ाया है लेकिन रिज पर घोड़े की गंदगी को साफ करने के लिए नगर निगम शिमला के 2 कर्मचारी सुबह से शाम तक अपनी सेवाएं देते हैं जिस पर निगम हजारों रुपए हर माह खर्च करता है। इसको देखते हुए नगर निगम शिमला ने यह निर्णय लिया है कि वह अब घुड़सवारी करने वालों से कर वसूला जाएगा, साथ ही घोड़ा संचालकों को अब 500 रुपए वार्षिक पंजीकरण शुल्क के रूप में अदा करने होंगे।
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वहीं घोड़ा संचालन एसोसिएशन के अध्यक्ष गुलामदीन का कहना है कि नगर निगम ने पहले घोड़ा संचालन करने वालों से टैक्स लेने की बात कही थी लेकिन अब यह टैक्स घुड़सवारी करने वालों से लिया जाएगा। वह नगर निगम द्वारा लिए गए निर्णय से सहमत हैं  तथा वार्षिक पंजीकरण शुल्क 500 रुपए अदा करने के लिए भी तैयार हैं।
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