अब हिमाचल के कूड़े से पैदा होगी बिजली, जर्मनी से बुलाई इंजीनियरों की टीम

Edited By Ekta, Updated: 04 Nov, 2019 10:21 AM

now himachal garbage will generate electricity

राजधानी शिमला शहर में कूड़े से बिजली पैदा करने का सपना साकार होने वाला है। अब दिसम्बर माह से कूड़े से पैदा होने वाली बिजली से रोशन होगी। नगर निगम के भरयाल प्लांट में दिसम्बर माह से शहर के कूड़े से बिजली उत्पन्न करने का काम शुरू होगा। प्रदेश में ऐसा...

शिमला (वंदना): राजधानी शिमला शहर में कूड़े से बिजली पैदा करने का सपना साकार होने वाला है। अब दिसम्बर माह से कूड़े से पैदा होने वाली बिजली से रोशन होगी। नगर निगम के भरयाल प्लांट में दिसम्बर माह से शहर के कूड़े से बिजली उत्पन्न करने का काम शुरू होगा। प्रदेश में ऐसा पहली बार होगा जब कूड़े से बिजली पैदा होगी। जर्मनी की एर्लीफेट एनर्जी कंपनी शिमला में कचरे से बिजली पैदा करने को लेकर काम कर रही है। हालांकि पिछले 2 साल से कूड़े से विद्युत उत्पादन प्रक्रिया पूरी तरह से ठप्प पड़ी हुई है लेकिन अब कंपनी ने दिसम्बर माह से विद्युत उत्पादन प्रक्रिया को शुरू करने का दावा किया है। इन दिनों प्लांट में कूड़े को जलाने से पैदा होने वाली गैस को खींचने के लिए स्क्रबर स्थापित किया जा रहा है। कंपनी का दावा है कि 15 नवम्बर तक स्क्रबर को स्थापित कर दिया जाएगा। इसके बाद मशीनरी की टैस्टिंग कर इसका ट्रायल 15 दिन के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। 

जर्मनी की एर्लीफेट एनर्जी कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया से खास तौर से इंजीनियरों की टीम बुलाई है जो प्लांट की बराबर मॉनीटरिंग कर रही है। कंपनी रोजाना प्लांट में स्थापित की गई मशीनरी की टैस्टिंग कर रही है। प्लांट में प्लाज्मा टॉर्च भी लगवाई गई है। इस उपकरण से प्लांट में कूड़े के तापमान को नियंत्रित किया जाता है। पहले इस उपकरण को प्लांट में नहीं लगाया गया था जिससे मशीनरी गर्म हो रही थी और बार-बार बंद पड़ रही थी लेकिन कंपनी ने अब मशीनरी में मोडिफिकेशन करवाई है। इसके अलावा गैसोफायर भी स्थापित किया गया है। भरयाल प्लांट में कुल 5 इंजन हैं। इनमें से 4 इंजन बिजली बनाने का काम करेंगे जबकि 1 इंजन को स्टैंड बाई में रखा जाएगा जिसका प्रयोग किसी इंजन में खराबी के दौरान किया जा सकेगा।

कंपनी भरयाल प्लांट पर खर्च करेगी 42 करोड़

जर्मनी की एलीफेंट एनर्जी कंपनी भरयाल कूड़ा संयंत्र की मुरम्मत कर आगामी 20 वर्षों तक संयंत्र का संचालन करेगी। कंपनी प्लांट पर करीब 42 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसकी एवज में निगम ने 20 वर्षों तक प्लांट को कंपनी को लीज पर दे दिया है। हालांकि बिजली बनाने का काम 2 साल से बंद पड़ा है। ऐसे में कंपनी प्लांट पर अधिक पैसा खर्च कर चुकी है।

अंबुजा और अल्ट्राटैक को भेजा जा रहा आर.डी.एफ.

मौजूदा समय में प्लांट में कूड़े से बिजली बनाने का काम बंद पड़ा है जबकि कूड़े को निष्पादित कर रोजाना आर.डी.एफ. तैयार किया जा रहा है जिसे जर्मनी की एर्लीफेट एनर्जी कंपनी द्वारा अंबुजा और अल्ट्राटैक सीमैंट कंपनियों को भेजा जा रहा है।

एम.सी. को देना होगा 70 से 100 टन कूड़ा

कंपनी द्वारा यहां बिजली पैदा करने के लिए नगर निगम को रोजाना 70 से 100 टन कूड़ा देना होगा। निगम कंपनी को रोजाना इतना कूड़ा देगा जिससे बिजली बनेगी। खास बात यह है कि कूड़े से बनने वाली बिजली को प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड खरीदेगा। निगम ने एर्लीफेट एनर्जी कंपनी को कूड़े से बिजली पैदा करने का जिम्मा सौंपा है। जर्मनी की एर्लीफेट एनर्जी कंपनी के साथ साइन हुए एम.ओ.यू. के तहत कंपनी कूड़े से 2.5 मैगावाट बिजली पैदा करेगी जिसे विद्युत बोर्ड 7.90 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदेगा। विद्युत बोर्ड आगामी 20 वर्षों के लिए इस कंपनी से बिजली खरीदेगा। 16 मई, 2017 को कंपनी व विद्युत बोर्ड के बीच समझौता साइन किया गया था।

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