अब भाजपा सरकार भी कर्ज के सहारे, जानिए कितने करोड़ का लिया कर्जा

Edited By Punjab Kesari, Updated: 20 Jan, 2018 02:09 AM

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जयराम ठाकुर के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार अपने कार्यकाल के 24 दिन के भीतर ही 500 करोड़ रुपए का कर्ज लेने के लिए बाध्य हुई है।

शिमला: जयराम ठाकुर के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार अपने कार्यकाल के 24 दिन के भीतर ही 500 करोड़ रुपए का कर्ज लेने के लिए बाध्य हुई है। इससे स्पष्ट है कि भाजपा सरकार को भी कर्ज के सहारे आगे बढऩा होगा। वर्तमान सरकार की तरफ से लिया गया यह पहला कर्ज होगा, जिसे 10 साल के भीतर सरकार को ब्याज सहित वापस करना होगा। इस तरह अब हिमाचल प्रदेश पर 47,000 करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ गया है। राज्य सरकार की तरफ से हाल ही में कर्मचारी व पैंशनरों को 3 फीसदी डी.ए. देने का निर्णय लिया गया है, जिससे वित्तीय समीकरण बिगड़ गए। यानी डी.ए. की किस्त जनवरी के वेतन और पैंशन में 1 फरवरी को अदा की जानी है। जिन कर्मचारियों के जी.पी.एफ. खाते हैं, उनका एरियर जमा हो जाएगा। इसके अलावा शेष कर्मचारी व पैंशनरों को इसका नकद भुगतान किया जाएगा। इससे सरकारी खजाने पर वार्षिक 180 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। प्रदेश सरकार ने हालांकि कर्ज के बोझ को कम करने का आश्वासन दिया है और इसके लिए वित्तीय संसाधन जुटाने की आवश्यकता है, साथ ही केंद्र सरकार से बेल आऊट पैकेज की मांग भी की जा रही है ताकि वित्तीय स्थिति में सुधार आ सके।

5 साल में प्रति व्यक्ति 41 फिसदी हुई ऋण बढ़ौतरी
राज्य सरकार की तरफ से बार-बार कर्ज लेने के कारण आर्थिकी ऋण जाल में फंसती जा रही है। इस कारण वर्ष, 2011-12 के दौरान प्रति व्यक्ति ऋण जो 40,904 रुपए था, वह वर्ष, 2015-16 में बढ़कर 57,642 रुपए हो गया है। यानी 5 साल में प्रति व्यक्ति ऋण में 41 फीसदी बढ़ौतरी हुई है। पूर्व सरकार के समय निगम-बोर्ड में 34 अध्यक्ष-उपाध्यक्षों की फौज तैनात करने से भी कर्ज में वृद्धि हुई है। हैरानी इस बात की है कि अध्यक्ष-उपाध्यक्षों की तैनाती के बाद सार्वजनिक उपक्रमों का घाटा 10820.11 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। इस फौज को वेतन देने के साथ नए वाहन भी खरीदकर दिए गए। कर्ज लेने का एक बड़ा कारण वेतन और पैंशन की अदायगियां लगातार बढऩा है। इस कारण बजट में 100 रुपए में से वेतन पर 26.91 रुपए, पैंशन पर 13.83 रुपए, कर्ज की ब्याज अदायगी पर 9.78 रुपए और ऋण अदायगी पर 9.93 रुपए व्यय करने पड़ रहे हैं, ऐसे में विकास सहित अन्य कार्यों के लिए 100 रुपए में से 39.55 रुपए ही बच रहे हैं।

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