समुद्री मार्ग से आयात मामला : 90 उद्योगपतियों को Notice, 32 ने जमा करवाया 1.51 करोड़ Tax

Edited By Vijay, Updated: 22 Jan, 2019 11:25 PM

notice to 90 industrialists 32 collected the 1 51 crore tax

राज्य कर व आबकारी विभाग के नोटिस से अब उद्योगपति घबराने लगे हैं। जी.एस.टी. पर अभी तक कुंडली मार कर बैठे उद्योगपतियों ने नोटिस मिलते ही इसे जमा करना शुरू कर दिया है। राज्य कर व आबकारी विभाग की टैक्स ऑडिट यूनिट ने पहली बार समुद्री जहाज से कच्चे माल की...

सोलन (नरेश): राज्य कर व आबकारी विभाग के नोटिस से अब उद्योगपति घबराने लगे हैं। जी.एस.टी. पर अभी तक कुंडली मार कर बैठे उद्योगपतियों ने नोटिस मिलते ही इसे जमा करना शुरू कर दिया है। राज्य कर व आबकारी विभाग की टैक्स ऑडिट यूनिट ने पहली बार समुद्री जहाज से कच्चे माल की ढुलाई पर अदा किए भाड़े पर 1.51 करोड़ रुपए का वस्तु व सेवा कर वसूल किया है। इसके लिए ऑडिट यूनिट ने 90 उद्योगपतियों को नोटिस जारी किया था। नोटिस में पूछा है की जी.एस.टी. लागू होने के बाद किसी कच्चे माल का आयात समुद्री मार्ग से किया है।

इस नोटिस के जवाब में 40 उद्योगपतियों ने बताया कि जुलाई, 2017 के बाद समुद्री मार्ग से कोई ढुलाई ही नहीं की है। इसलिए उनकी जी.एस.टी. की कोई देनदारी नहीं बनती जबकि 18 उद्योगपतियों ने नोटिस का जवाब दिया कि उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर की देय राशि सरकारी खजाने में समयानुसार जमा करवा दी है। 32 उद्योगपतियों ने अपनी गलती मानते हुए वस्तु एवं सेवा कर की देय राशि विभागीय नोटिस मिलने के पश्चात 1.51 करोड़ रुपए सरकारी खजाने में जमा कर दिए हैं। इस सारी प्रक्रिया को नोटिस के माध्यम से पूर्ण कर लिया गया और किसी भी उद्योग का निरीक्षण नहीं किया गया।

टैक्स ऑडिट यूनिट के ध्यान में आया था कि विदेशों से आयातित कच्चे माल की समुद्री जहाज द्वारा की गई ढुलाई के भाड़े पर जी.एस.टी. का भुगतान नहीं किया जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है प्रदेश समुद्री तट से जुड़ा हुआ राज्य नहीं है। इसलिए विभाग को इसकी जानकारी भी आसान नहीं थी। कस्टम विभाग से इसकी जानकारी का पता करना भी आसान नहीं था।  बता दें कि आबकारी एवं कराधान विभाग ने फर्जी फर्म बनाकर करोड़ रुपए का जी.एस.टी. चोरी करने के आरोप में 2 उद्योगपतियों को गिरफ्तार किया था। इस गिरफ्तारी के बाद से जी.एस.टी. का भुगतान न करने वाले कारोबारी घबरा गए हैं। यही कारण है कि विभाग के नोटिस जारी करते ही कारोबारियों ने टैक्स भरना शुरू कर दिया है।

सूत्रों का कहना है कि समुद्री जहाजों द्वारा ढुलाई पर दिए हुए भाड़े पर 5 फीसदी जी.एस.टी. का भुगतान किया जाता है। इसी भाड़े पर सीमा शुल्क भी लगता है जो जी.एस.टी. से अलग होता है। अधिकांश उद्योगपतियों को कहना था कि वे सीमा शुल्क का भुगतान कर रहे थे लेकिन जी.एस.टी. के बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी। टैक्स ऑडिट यूनिट के लिए दक्षिण प्रवर्तन क्षेत्र में कार्यरत सहायक राज्य कर व आबकारी अधिकारी मनोज सचदेवा और आशुटंकण कुमारी किरण शर्मा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राज्य कर एवं आबकारी विभाग के संयुक्त आयुक्त व टैक्स ऑडिट यूनिट के प्रभारी डा. सुनील कुमार ने बताया कि विदेशों से आयातित कच्चे माल की समुद्री जहाजों द्वारा की गई ढुलाई के भाड़े पर जी.एस.टी. का भुगतान नहीं किया जा रहा था। विभाग को इसकी भनक लगी तो  90 औद्योगिक प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए गए जिसमें से 32 ने माना की जी.एस.टी. भुगतान नहीं किया गया है। इन उद्योगों ने 1.51 करोड़ रुपए का तुरंत भुगतान कर दिया। इस बार पूरी प्रक्रिया नोटिस के माध्यम से ही पूरी हो गई । इस प्रकार की कार्रवाई भविष्य में भी जारी रहेगी।

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