सचिवालय में 16 गैर-हिमाचलियों की नियुक्ति का मामला गर्माया, कांग्रेस ने घेरी सरकार

Edited By Vijay, Updated: 01 Aug, 2019 11:03 PM

non himachali appointed at secretariat

हिमाचल प्रदेश सचिवालय में गैर-हिमाचलियों की नियुक्ति का मामला गर्माने लगा है। इसी कड़ी में प्रदेश कांग्रेस ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। पार्टी ने सचिवालय में बाहरी राज्यों के लोगों की नियुक्तियों पर हैरानी जताते हुए कहा है कि यह पूरी तरह से...

शिमला: हिमाचल प्रदेश सचिवालय में गैर-हिमाचलियों की नियुक्ति का मामला गर्माने लगा है। इसी कड़ी में प्रदेश कांग्रेस ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। पार्टी ने सचिवालय में बाहरी राज्यों के लोगों की नियुक्तियों पर हैरानी जताते हुए कहा है कि यह पूरी तरह से प्रदेश के पढ़े-लिखे बेरोजगारों के साथ धोखा है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर का कहना है कि इन नियुक्तियों में भ्रष्टाचार की बू आ रही है, जिसकी निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए।

प्रदेश की सरकारी नौकरियों पर केवल प्रदेशवासियों का ही अधिकार

उन्होंने जारी बयान में कहा है कि प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के हकों से किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकारी नौकरियों पर केवल प्रदेशवासियों का ही अधिकार होना चाहिए और इस पर प्रदेश के किसी भी बाहरी का अतिक्रमण सहन नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि पहले ही प्रदेश में बेरोजगारों का आंकड़ा लाखों में पहुंच गया है। इसलिए नौकरियों पर पहला हक प्रदेश के लोगों का है।

सचिवालय कर्मचारियों की चिंता वाजिब

कांग्रेस ने सचिवालय कर्मचारियों की चिंता को वाजिब ठहराते हुए कहा कि सचिवालय में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी में प्रदेश के बाहरी लोगों की सीधी नियुक्ति सही नहीं है। पार्टी का मानना है कि ऐसा होने से प्रदेश सचिवालय सॢवसिज के कामकाज पर विपरीत असर पड़ सकता है।

पूर्व कर्मचारी नेता भी आगे आए

पूर्व कर्मचारी नेता सैन राम नेगी, दीप राम शर्मा और जीत राम पंवार ने भी प्रदेश सचिवालय में गैर-हिमाचल के लोगों की नियुक्तियों पर रोष व्यक्त किया है। पूर्व कर्मचारी नेताओं ने यहां जारी बयान में कहा है कि प्रदेश में बाहरी लोगों की सचिवालय जैसे महत्वपूर्ण स्थान में नियुक्ति कई संदेह पैदा करती है।

सी.एम. के समक्ष उठाया जा चुका है मामला

सचिवालय में बाहरी राज्यों से संबंध रखने वाले 16 लिपिकों की नियुक्ति का मामला मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के समक्ष भी उठाया जा चुका है। सचिवालय कर्मचारी संगठन ने सीधे तौर पर इसका विरोध किया है और भर्ती तथा पदोन्नति नियमों में व्यापक प्रावधान किए जाने की मांग सरकार से की है जिस पर मुख्यमंत्री ने उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया है।

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