चंबा के ऐतिहासिक मंदिरों व धरोहरों में आने वाले पर्यटकों को नहीं मिल रही यह सुविधा

Edited By Simpy Khanna, Updated: 07 Oct, 2019 12:57 PM

no proper arrangement for giving information about historical temples

यूं तो पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यटकों को सुविधाएं मुहैया करवाने के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं लेकिन 1,000 वर्ष पुराने चंबा शहर में ऐतिहासिक मंदिरों व धरोहरों तक पहुंचने के लिए यहां आने वाले सैलानियों को परेशानी पेश आती है। इन तक...

चंबा (विनोद) : यूं तो पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यटकों को सुविधाएं मुहैया करवाने के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं लेकिन 1,000 वर्ष पुराने चंबा शहर में ऐतिहासिक मंदिरों व धरोहरों तक पहुंचने के लिए यहां आने वाले सैलानियों को परेशानी पेश आती है। इन तक पहुंचने के लिए बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों को लोगों से जानकारी हासिल करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। 

इसकी मुख्य वजह यह है कि जिला मुख्यालय में ऐसा कोई बोर्ड या सूचनापट्ट नहीं लगा हुआ है, जो कि नगर में मौजूद ऐतिहासिक मंदिरों के बारे में जानकारी देता हो और न ही मंदिरों को जाने वाले मार्गों के बारे में जानकारी देने हेतु कोई दिशा सूचक लगाए गए हैं। इसी के चलते पर्यटकों को राहगीरों अथवा दुकानदारों से मंदिरों को जाने वाले मार्गों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
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 मुख्य बाजार की बात करें तो यहां पर ऐतिहासिक चंपावती, राधा-कृष्ण, सीता-राम, हनुमान, हरिराय व लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर मौजूद हैं लेकिन इन मंदिरों तक जाने वाले मार्गों की जानकारी लोगों को मुहैया करवाने की अभी तक कोई व्यवस्था मौजूद नहीं है। इस स्थिति के चलते जब भी कोई पर्यटक मुख्य बाजार में पहुंचता है तो वह इनके बारे में जानकारी हासिल करने के लिए मुख्य चौक पर मौजूद पुलिस गुमटी पर तैनात रहने वाले पुलिस कर्मी से पूछताछ करता है। 
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पहले भी उठी थी मांग

मुख्य बाजार के साथ अन्य महत्वपूर्ण स्थलों पर ऐतिहासिक मंदिरों के बारे में जानकारी देने के लिए दिशा सूचक व सूचनापट्ट लगाने के साथ-साथ स्वागत गेट लगाने की मांग उठी थी, जिस पर प्रशासन व पर्यटन विभाग ने प्रभावी कदम उठाने का आश्वासन दिया था लेकिन अभी तक इस दिशा में कुछ भी होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। परिणामस्वरूप स्थिति जस की तस बनी हुई है। 

क्या कहना है चंबा की सामाजिक संस्थाओं का

भटालवा मंदिर विकास समिति, चम्बा वैल्फेयर एसोसिएशन, पांगी कल्याण संघ, संयुक्त मोर्चा चम्बा व वरिष्ठ नागरिक फोरम, चम्बा विकास जनमंच व चम्बा जनहित संगठन का कहना है कि अफसोस की बात है कि एक तरफ चंबा को ऐतिहासिक नगर होने का गौरव प्राप्त है लेकिन दूसरी तरफ यहां की ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति यहां आने वाले सैलानियों को जानकारी देने के संदर्भ में कोई कदम नहीं उठाया गया है। पठानकोट-चम्बा नैशनल हाईवे पर एक भी ऐसा बोर्ड मौजूद नहीं है, जो कि चंबा की ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में लोगों को जानकारी देता हो। यही नहीं, जिला के पर्यटन स्थल डल्हौजी व खजियार में भी चंबा के ऐतिहासिक मंदिरों व संग्रहालय के बारे में जानकारी देने वाला कोई सूचना बोर्ड नहीं लगाया गया है। 
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इसी के चलते खजियार व डल्हौजी में आने वाले पर्यटक चम्बा की ओर रुख करने में अधिक रुचि नहीं दिखाते हैं और जो पर्यटक चंबा घूमने के लिए आते हैं तो उन्हें भी इन मंदिरों के बारे में जानकारी देना वाला कोई भी बोर्ड या सूचनापट्ट नहीं लगाया गया है। सरकार व प्रशासन को शीघ्र इन कमियों को दूर करने की दिशा में प्रभावी कदम उठाने चाहिए।  

 

 

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