हिमाचली कृषकों को फर्म के लिए 118 की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं : हाईकोर्ट

Edited By Vijay, Updated: 02 Mar, 2019 10:35 PM

no need 118 approval for firm to himachali farmers

हिमाचली कृषकों की फर्म को प्रदेश में जमीन खरीदने के लिए भू सुधार अधिनियम की धारा 118 के तहत सरकार से इजाजत लेने की कोई जरूरत नहीं है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने 2 हिमाचली कृषकों की फर्म द्वारा खरीदी...

शिमला: हिमाचली कृषकों की फर्म को प्रदेश में जमीन खरीदने के लिए भू सुधार अधिनियम की धारा 118 के तहत सरकार से इजाजत लेने की कोई जरूरत नहीं है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने 2 हिमाचली कृषकों की फर्म द्वारा खरीदी गई जमीन को सरकार द्वारा अपने अधीन करने के फैसले को निरस्त करते हुए यह व्यवस्था दी।

मामले के अनुसार 2 हिमाचली कृषकों द्वारा बनाई फ र्म मैसर्ज के-लैंड जुब्बल ने 21 जून, 2014 को हाऊसिंग कालोनी बनाने के लिए धारा 118 के तहत अनुमति ली और उसके बाद 18 जून, 2015 को प्रोजैक्ट के लिए कृषि योग्य जमीन खरीदी। 2 वर्ष के भीतर फ र्म प्रोजैक्ट को पूरा नहीं कर पाई। फर्म के आवेदन पर डी.सी. सिरमौर ने एक वर्ष का अतिरिक्त समय प्रदान कर दिया जब फि र भी प्रोजैक्ट पूरा नहीं हुआ तो फर्म ने फिर से समय बढ़ाने का आवेदन किया।

डी.सी. सिरमौर ने आवेदन रद्द करने के साथ-साथ 31 जुलाई, 2018 को जमीन भी सरकार के अधीन लेने के आदेश पारित कर दिए। फ र्म ने हाईकोर्ट में डी.सी. सिरमौर के आदेशों को चुनौती दी थी। कोर्ट ने फैसले में कहा कि यदि फ र्म प्रोजैक्ट पूरा करने के लिए समय सीमा बढ़ाने में नाकाम रही फिर भी उसकी जमीन सरकार अपने अधीन नहीं कर सकती क्योंकि फर्म के पार्टनर हिमाचली होने के नाते हिमाचल में जमीन खरीदने का पूरा हक रखते हैं। इसलिए कम से कम फ र्म की जमीन उनके नाम की जा सकती है। कोर्ट ने डी.सी. सिरमौर के फैसले को निरस्त करते हुए इसे हाईकोर्ट के निर्णय के दृष्टिगत फिर से फैसला पारित करने के आदेश दिए।

 

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