CM रिलीफ फंड में देने के लिए पैसा नहीं, 1,44,200 रुपए का मीडिया एडवाइजर रखेगी सरकार

Edited By Punjab Kesari, Updated: 10 Jan, 2018 09:55 AM

no money to pay in cm relief fund

गंभीर वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही राज्य सरकार 1,44,200 रुपए देकर मीडिया एडवाइजर रखने जा रही है। सरकार की तरफ से इस आशय संबंधी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है, जिसमें को-टर्मिनस आधार पर पद का सृजन किया गया है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की तरफ से भरे...

शिमला: गंभीर वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही राज्य सरकार 1,44,200 रुपए देकर मीडिया एडवाइजर रखने जा रही है। सरकार की तरफ से इस आशय संबंधी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है, जिसमें को-टर्मिनस आधार पर पद का सृजन किया गया है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की तरफ से भरे जाने वाले इस पद के लिए मंजूरी भी ले ली गई है। हैरानी इस बात की है कि प्रदेश पर अभी करीब 46,500 करोड़ रुपए का कर्ज है और सी.एम. रिलीफ फंड (मुख्यमंत्री राहत कोष) में देने को पैसे नहीं हैं। इस स्थिति में ऐसे पदों के सृजन को लेकर सवाल उठ सकते हैं। सी.एम. रिलीफ फंड जिसे बीमार एवं बेसहारा लोगों की मदद पर खर्च किया जाता है, उसमें भी धन नहीं है। मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों के दरबार में शॉल, टोपी और फूलों के गुलदस्ते लेकर आने वाले रिलीफ फंड में दान नहीं कर रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने लोगों से शॉल, टोपी और फूलों के गुलदस्ते न लाने और पैर न छूने को कहा है। 


पूर्व सरकार में क्या हुआ
पूर्व सरकार में निगम-बोर्ड में 34 अध्यक्ष-उपाध्यक्षों की फौज थी। इस फौज को वेतन देने के साथ-साथ नए वाहनों की खरीद भी की गई थी। राज्य की आर्थिक स्थिति खराब होने का दूसरा बड़ा कारण वेतन/पैंशन की लगातार अदायगियां लगातार बढऩा है। इस कारण पूर्व सरकार की तरफ से प्रस्तुत किए गए अपने अंतिम बजट में 100 रुपए में से वेतन पर 26.91 रुपए, पैंशन पर 13.83 रुपए, कर्ज के ब्याज की अदायगी पर 9.78 रुपए और ऋण अदायगी पर 9.93 रुपए व्यय करने पड़ रहे हैं। यानी विकास सहित अन्य कार्यों के लिए 100 रुपए में से 39.55 रुपए बच रहे हैं।


क्या है प्रदेश की वित्तीय हालत
प्रदेश की वित्तीय हालत किसी से छिपी नहीं है। प्रदेश 46,500 करोड़ रुपए के कर्ज तले दबा है। ऐसे में प्रति व्यक्ति पर ऋण करीब 60,000 रुपए तक पहुंच गया है। इस तरह से 5 साल में प्रति व्यक्ति ऋण में 41 फीसदी बढ़ौतरी हुई है, जिस पर कैग ने भी तीखी टिप्पणी की है। प्रदेश पर कर्ज होने के अलावा राजस्व वसूलियों में अनियमितता की बात सामने आई है। कैग के अनुसार वर्ष, 2015-16 के दौरान बिक्री कर/मूल्य वर्धित कर, राज्य आबकारी, मोटर वाहन कर, माल व यात्री कर तथा वन प्राप्तियों की 217 इकाइयों के अभिलेखों की नमूना जांच से 1,206 मामलों में कुल 585.95 करोड़ रुपए की राजस्व हानि हुई है। मूल्य वर्धित कर (वैट) में यह 56.76 करोड़ रुपए की अनियमितता की तरफ संकेत किया गया है। बिक्री और व्यापार पर कर/मूल्य वर्धित कर वसूलने में अनियमितता हुई है। विभाग 51.40 करोड़ रुपए पट्टा राशि को टोल वैरियरों के पट्टेदारों से वसूल नहीं कर पाया। कैग के अनुसार सार्वजनिक उपक्रमों का घाटा 10820.11 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। 
 

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