Edited By Vijay, Updated: 18 Sep, 2019 03:31 PM
सरकार के पास सांसदों, मंत्रियों, विधायकों आदि के भत्ते व वेतन बढ़ाने के लिए हर समय खजाना खुला रहता है। जब भत्ते व वेतन बढ़ाने की बात आती है तो सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों के सुर एक हो जाते हैं लेकिन जब उन्हीं नेताओं को अपना प्रतिनिधि चुनकर लोकसभा व...
नाहन (धर्म सिंह): सरकार के पास सांसदों, मंत्रियों, विधायकों आदि के भत्ते व वेतन बढ़ाने के लिए हर समय खजाना खुला रहता है। जब भत्ते व वेतन बढ़ाने की बात आती है तो सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों के सुर एक हो जाते हैं लेकिन जब उन्हीं नेताओं को अपना प्रतिनिधि चुनकर लोकसभा व विधानसभा में वोट जैसी शक्ति रखने वाली आम व गरीब जनता भेजती है तो वे उसी गरीब जनता को भूल जाते हैं। हालांकि भाषणों में लुभाने के लिए बड़े-बड़े दावे जनसभाओं में किए जाते हैं, जिसमें बताया भी जाता है कि इतने करोड़ इस योजना के लिए खर्च हो गए लेकिन जब यथार्थ के धरातल पर सबसे निचले स्तर के उन लोगों को देखने की कोशिश की जाए, जिनके लिए असल में योजनाएं होती हैं वे शायद उन योजनाओं का लाभ पाने से स्वयं को कोसों दूर पाते हैं।
बीपीएल में शामिल नहीं नाम, खाना न होने पर भूखे पेट सोता है परिवार
ऐसा ही मामला जिला सिरमौर के कफोटा के दुर्गम क्षेत्र नेडा गांव में रहने वाली एक मजबूर व लाचार विधवा महिला गीता देवी के साथ पेश आ रहा है। पति के करीब एक वर्ष पूर्व निधन के बाद महिला के सिर पर 4 बच्चों की जिम्मेदारी आन पड़ी है, जिसमें एक बच्चा दिव्यांग भी है। रोजगार व आय का अन्य कोई साधन न होने के कारण महिला अपने बच्चों का व अपना पालन-पोषण सही से नहीं कर पा रही है। कई बार तो खाना न होने पर भूखे पेट ही सोना पड़ता है, ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं पर खर्च किए जा रहे करोड़ों रुपए जब इन जरूरतमंद लोगों तक नहीं पंहुच रहे हैं तो आखिर जा कहां रहे हैं। हैरानी तो इस बात की है कि पंचायतों में धन्नासेठों को बीपीएल की सूची में डाल दिया जाता है, जिसके आए दिन उदाहरण देखने को मिलते हैं लेकिन इस महिला का नाम अभी तक बीपीएल सूची में ही शामिल नहीं किया गया है, ऐसे में पंचायत व प्रशासन कहां सोया है।
ग्रामीणों ने एकत्रित होकर बनाया एक मकान
महिला की गरीबी व मजबूरी को देखते हुए ग्रामीणों ने एकत्रित होकर श्रमदान दिया व महिला के लिए पत्थरों का कच्चा मकान बनाकर मजबूर बच्चों के लिए छत दी। इसके अलावा महिला की जितनी हो सके मदद को भी ग्रामीण आगे आते हैं लेकिन आखिर कब तक ग्रामीण महिला के लिए आगे आएंगे। क्या चुनी हुई पंचायत व सरकार का कोई फर्ज नहीं बनता कि गरीब महिला को उसका हक दिलवाएं।
बिना बिजली सदियों पुराना जीवन बीता रहा परिवार
सरकार की गरीबों के लिए बड़ी योजनाओं को तो छोड़ें, परिवार के पास बिजली तक का कनैक्शन नहीं है, ऐसे में परिवार आज भी सदियों पुराना जीवन यापन करने को मजबूर है। इसके अलावा न पानी, न सही छत, न रोजगार और न ही बीपीएल की श्रेणी में महिला को शामिल किया गया है। पानी लेने के लिए आए दिन पड़ोसियों के यहां जाना पड़ता है तो वहीं बिना बिजली के रात को अंधेरे में धक्के खाने पड़ते हैं। महिला का कहना है कि केवल मात्र शौचालय बनाने के लिए कुछ पैसे मिले थे, इसके अलावा और कोई सरकारी लाभ आज तक नहीं मिल पाया। इतना ही नहीं, केंद्र व प्रदेश सरकार ने महिलाओं को पारंपरिक चूल्हे के धुंए से बचाने के लिए गैस चूल्हे की योजनाएं चला रखी हैं लेकिन यह योजना आज तक महिला के द्वार नहीं पहुंची।
योजनाओं का लाभ मत दो बस रोजगार दे दो, मैं खुद पाल लूंगी बच्चे
हालांकि वक्त ने महिला को मजबूर व लाचार भले ही बना दिया हो लेकिन महिला के हौसले बुलंद हैं। महिला गीता देवी का कहना है कि सरकार को यदि योजनाओं का लाभ नहीं देना तो मत दे लेकिन उसे केवल रोजगार उपलब्ध करवा दे, जिससे मेहनत कर वह अपना व अपने 4 मासूम बच्चों का पेट पाल सके और उसे किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत न पड़े। महिला ने कहा कि आसपास के लोगों का उन्हें बड़ा सहयोग मिला, जिसके चलते उनका कच्चा ही सही मकान बना। महिला ने बताया कि क्षेत्र में काम के संसाधन सीमित हैं, ऐसे में कई बार मजदूरी नहीं मिल पाती, जिसके चलते पैसे नहीं होते और राशन न होने से उन्हें भूखे पेट सोना पड़ता है। बच्चों को भूखे पेट सोते वह नहीं देख सकती, ऐसे में सरकार यदि उसे कोई काम देती है तो वह खुब मेहनत करेगी।
सोशल मीडिया पर लाखों लोगों तक पंहुचा महिला का दर्द, सरकार बेखबर
आधुनिक युग में सूचना की शक्ति बनकर उभरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ग्रामीणों ने महिला के दर्द को सांझा किया है, जिसके बाद लाखों लोगों तक महिला का दर्द पंहुचा लेकिन हैरानी की बात है कि सरकार व प्रशासन अब तक बेखबर बना हुआ है।
क्या कहती हैं पंचायत प्रधान
ग्राम पंचायत दुगाना की प्रधाना लीला देवी ने कहा कि पंचायत द्वारा महिला की मदद के लिए कागजी कार्रवाई पूरी कर दी गई है। योजनाओं का लाभ देना अब सरकार के हाथ में है। पीड़िता का मकान बनाने के लिए ब्लॉक कार्यालय में फार्म जमा करवा दिए थे। इसके अलावा अन्य योजनाओं से संबधित फार्म हर सरकारी दफ्तर में जमा करवा दिए हैं।